बॉलीवुड गीतकार राजेंद्र नाथ रहबर का हुआ निधन, तेरी खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे.. से मिली थी प्रसिद्धि

(Pi Bureau)

उर्दू साहित्यकार, कवि और बॉलीवुड गीतकार राजेंद्र नाथ रहबर का रविवार देर रात निधन हो गया। शिरोमणि साहित्यकार पुरस्कार, सप्त ऋषि सम्मान स्पिक मैके, डॉ. सी नारायण रेड्डी साहित्य पुरस्कार, लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार विजेता रहबर ने बीती देर शाम दिल्ली में अंतिम सांस ली। वह पिछले एक महीने से बीमार थे। पठानकोट में शायरी की पौध लगाने वाले रहबर के निधन की खबर से शहर में शोक की लहर दौड़ गई। 

राजेंद्र नाथ रहबर के लिखे गीत, नज्म और गजलों को कई बॉलीवुड फिल्मों में गाया जा चुका है। गजल गायक जगजीत सिंह, अनुराधा पौडवाल, रूप कुमार राठौर, गजल श्रीनिवास और संजय वत्सली ने उनके लिखे शब्दों को आवाज दी। रहबर की लिखी नज्म ‘तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे..’ को दुनियाभर में सराहना मिली। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी इस नज्म पर पत्र लिखकर ‘रहबर’ की सराहना की थी। इसके अलावा, ‘आइना सामने रखोगे तो याद आऊंगा’ से भी ‘रहबर’ को काफी लोकप्रियता मिली थी। 

ऑडिट विभाग में नौकरी और वकालत कर चुके थे रहबर
राजिंदर नाथ रहबर का जन्म शकरगढ़ पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। विभाजन के बाद पठानकोट में  शकरगढ़ में प्राथमिक स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में अध्ययन किया।  उन्होंने खालसा कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की और पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी किया। राजेंद्र नाथ रहबर ने बचपन में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था। वह एक सक्रिय उर्दू कवि और लेखक रहे हैं। उन्होंने गजल और नज्म जैसी उर्दू साहित्य की कई विधाएं लिखी हैं। राजिंद्र नाथ रहबर ने चार दशकों में 2000 से अधिक शो और कवि सम्मेलनों में प्रदर्शन किया है। उन्होंने कई देशों में अपनी कविताओं का प्रदर्शन किया। दुनिया भर में उनके 300 से अधिक शिष्य हैं। 

अनेकों सम्मान और पुरस्कार जीत चुके रहबर
91वर्षीय राजेंद्र नाथ रहबर अपने 40 साल के करियर में कई सम्मान और पुरस्कार जीत चुके थे। उन्हें सप्त ऋषि सम्मान स्पिक मैके, रोमणि साहित्यकार पुरस्कार, डॉ. सीनारायण रेड्डी साहित्य पुरस्कार, पं. रतन पंडोरवी पुरस्कार, लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, फिराक गोरखपुरी पुरस्कार, अमृता प्रीतम स्मृति सम्मान, दुष्यंत कुमार रजत सम्मान और गजल शिरोमणि पुरस्कार मिल चुका है। इसी के चलते उन्होंने पठानकोट का नाम विश्व पटल पर रोशन किया। 

इंडो-पाक मुशायरे में 5 बार सुनी गई थी ‘रहबर’ की नज्म
पठानकोट के शायर और राजेंद्र नाथ रहबर के शिष्य डॉ. मनु मेहरबान बताते हैं कि अमृतसर में करवाए गए इंडो-पाक मुशायरे में उनकी नज्म तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे..को पांच बार सुना गया। डॉ. मेहरबान का कहना है कि राजेंद्र नाथ रहबर अपने आप में उर्दू अदब का खजाना थे। वह अवार्ड के लिए काम नहीं करते थे, अवार्ड खुद चलकर उन तक पहुंचते थे। डॉ. मनु का कहना है कि उनके निधन से साहित्य प्रेमियों को कभी पूरा न होने वाला नुक्सान हुआ है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में ही रहबर की अंत्येष्टि की जाएगी। 

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