काकाजी कहिन:सड़क चौड़ी होय चाहे जेतना,चलै का मिली वोतनै ।

(Pi Bureau)
अमेठी:पिछले कई महीनों से गर्दो गुबार वाली जनपद की सड़कों पर भ्रमण करते हुए हमरे गाँव के काका जी यह सोच रहे कि कुछ दिनों के बाद जब यह चमाचम हो जाएगी तो आने जाने में होने वाली मुश्किलें भी रफूचक्कर हो जाएंगी लेकिन काका की यह सोच मुंगेरीलाल के हसीन सपने सरीखी साबित हुई ऐसा नहीं है कि सड़क में सड़के बनी नहीं सड़कें चौड़ी भी हुई और चमाचम भी हुई लेकिन आने-जाने में मुश्किलें जस की तस बनी हुई है जनपद के भ्रमण में निकले काकाजी बन ठनकर तैयार सड़कों पर निकले तो  उनका पाला तकलीफ देह अस्थाई अतिक्रमण  तथा बेतरतीब खड़े किए गए छोटे बड़े वाहनों से पड़ा
 काकाजी मन ही मन में सोच रहे थे कि ऐसे चौड़ीकरण से क्या लाभ जब सड़क पर चलने की जगह उतनी ही मिल रही है जितनी पहले मिला करती थी काकाजी को शाम को ही नहीं चिल चिलाती धूप में भी जाम के झाम के चपेट में आना पड़ रहा था सड़को को अपनी निजी प्रॉपर्टी समझ बैठे लोगों की बेजा वाहन पार्किंग करने पर नकेल कसने के लिए योगी राज में भी शायद जिम्मेदारों को फुर्सत नहीं मिल रही है इसके अलावा शहर में ऐसी कोई सड़के हैं जिसका चौड़ीकरण कार्य इस कदर सुस्त है कि वह कछुओं की धीमी चाल से भी कमतर साबित हो रहा है जिम्मेदार,प्रदेश सरकार द्वारा सड़कों को गड्ढामुक्त करने की आखिरी तिथि 15 जून के आने में शायद अभी काफी दिन मान बैठे हैं दोपहर में स्कूल छूटने व शाम के समय शहर में चल पाना पहले ही जैसा जैसा मुश्किलों भरा काम बना हुआ है सड़क चौड़ीकरण के बाद इसे अस्थाई अतिक्रमण मुक्त रखने मुक्त रखने  तथा वाहनों की बेजा पार्किंग पर रोक लगाने में तथा आवागमन मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है ।
 सड़क चौड़ी हुई चाहे जितना चलै का मिली वोतनै वाली पंक्ति बुदबुदाते हुये और आवागमन में हो रही दिक्कत हो से मुकाबला करते हुए हमरे काकाजी अपने गरीब खाने की और बढ़ चले ।

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