(Pi Bureau)
भारत की कांच की मोतियों के सबसे बड़े उत्पादक व निर्यातक बनारस बीड्स लिमिटेड के वाराणसी स्थित मुख्य कार्यालय पर आयोजित वार्षिक आम बैठक में कंपनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविंड -19 के दूसरे वर्ष में भी विभिन्न परेशानियों से संघर्ष करते हुए बनारस बीड्स लिमिटेड ने मजबूती से अपनी स्थिरता बनाते हुए यह साबित कर दिया कि कंपनी किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है, यह सब कंपनी के मजबूत इरादों और सकारात्मक सोच और दृढ़ संकल्प से संभव हो सका और हम वैश्विक रिश्ते और विश्वास के बल पर आगे बढ़ते हुए चीन से कारोबारी प्रतिस्पद्धों कर रहे है और इस संघर्ष में सरकार को उद्यमियों का साथ देना चाहिए बताया कि वर्ष 2019-20 में कंपनी की सकल आय 23.56 करोड़ थी जो वर्ष 2020-21 में घट कर 19.42 करोड़ रह गई, जिसका मुख्य कारण वर्ष 2020-21 में लॉकडाउन की वजह से कंपनी में उत्पादन 8-9 महीने रहा. पिछले दो वर्षों में कोई विदेशी मार्केटिंग दूर नहीं हुआ कोई नया ग्राहक नहीं बढ़ा, किसी भी व्यापार मेले में भाग नहीं ले पाए जिसके चलते भी कारोबार 19 प्रतिशत प्रभावित रहा, तो वही इस तरह के अतिरिक्त व्यय नहीं होने से कंपनी का शुद्ध लाभ 5 लाख रुपये बढ़ गया।
एक तरफ पूरी दुनिया में लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधे प्रभावित हुए जिसमे कई व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हो गए और कई उद्योगों में कर्मचारियों की छटनी भी हुई है, लेकिन वहीं बनारस बीड्स लिमिटेड ने रोजगार के अवसर प्रदान कि यह हमारी मजबूत बुनियादी बातों और कंपनी में विदेशी खरीदारों के भरोसे को दर्शाता है। रिश्ते और विश्वास किसी भी कंपनी के लिए सबसे कीमती संपत्ति है और शेवस्थास्कों का विश्वास पठले की तुलना में बहुत मजबूत होता है, जब आपकी कंपनी बढ़ेगी तो कंपनी से जुड़े सभी लोग बढ़ेंगे।
बनारस बीड्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अशोक कुमार गुप्ता ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के संकट काल में विश्वास के साथ कहा कि हम वही बताया कि वैश्विक महामारी के दौर में लॉकडाउन के चलते बेकार हुए गरीब मजदूरों और प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए कंपनी ने हाथ बढ़ाया और लगभग 7 लाख रुपए व्यय कर उनको भोजन पानी राशन इत्यादि का प्रबंध कराया जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अशोक कुमार गुप्ता व बनारस बीड्स लिमिटेड को व्यक्तिगत प्रशंसा पत्र भी भेजा।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव से कंपनी के आर्डर बुक में 30 प्रतिशत की वृद्धि का अवसर मिला है क्योंकि तीन से अमेरिका में आयात करने पर अतिरिक 25 प्रतिशत शुल्क में वृद्धि होने से भारतीय उत्पादों का निर्यात अमेरिका में बढ़ता रहा तो इसका असर कंपनी के चालू वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट में दिखाई पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम बैठद आशावादी है और विश्वास करने के कई कारण ही कंपनी सफलता के मार्ग प्रशस्त हुए है, और यह आगे भी जारी रहेगा चाहे कोई प्रतिकूल स्थिति भी कंपनी का सालाना बेहतर प्रदर्शन होता रहेगा.
जीआई उत्पादों के निर्यात में वृद्धि –
वाराणसी जीआई उत्पादों का केंद्र है जहां सबसे ज्यादा उत्पाद जीआई द्वारा पंजीकृत है जहां बिना किसी सरकारी प्रोत्साहन के जीआई पंजीकृत हस्त निर्मित कांच के मोती 10.67 करोड़, लकड़ी के मोती 60.76 लाख, सॉफ्ट स्टोन के आर्टिस्टिक मोती 12.28 लाख और 4.71 लाख के टेरीकोटा के मोतियों का निर्यात किया।
वही अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने बताया कि भारत कांच की मोतियों का पिछले दशक तक निर्यातक था एवं भारत वर्ष से जितना निर्यात होता था उससे ज्यादा कांच की मोतियों की खपत “जपने की माला, मंगलसूत्र ” इत्यादि में होता था निर्यात से 100 गुना माल घरेलू बाजार में बिक जाता था, दुर्भाग्य से चीन से प्रतिस्पर्धा में भारत में ही भारत की बनी कांच की मोतियों का कारोबार शून्य हो गया क्योंकी भारत में मोतियों के कारोबार में चीन का अधिपत्य हो गया। पिछले तीन वर्षों के आकंड़ो के अनुसार भारत में चीन से औसतन 24 अरब रुपए का औसत 30 हजार टन कांच की मोतियों का विदेशी मुद्रा में आयात हुआ जो लगभग 85 प्रतिशत है और इस पर 24 अरब विदेशी मुद्रा प्रतिवर्ष खर्च होती है। उन्होंने कहा कि फिर भी समझ नहीं आता कि सरकारें अपना राजस्व क्यों नहीं बढ़ाना चाहती | वही इन्ही • हालातों के कारण कम से कम 20 पंजीकृत व्यापारियों और उद्योगों ने कार्य बंद कर दिया और 10 हजार से ज्यादा कारीगर बेकार हो गए।