बड़ी खबर:: मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अब आजम खां, अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की कुंडली खंगालेगा प्रवर्तन निदेशालय !!!

(Pi Bureau)

उत्तर प्रदेश की अलग-अलग जेलों में बंद चल रहे सपा नेता आजम खां, गैंगेस्टर से बसपा विधायक बने मुख्तार अंसारी व अतीक अहमद की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। अब प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इन तीनों नेताओं की कुंडली खंगालेगा।

बता दें, प्रवर्तन निदेशालय ने इन तीनों नेताओं के खिलाफ पूर्व में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुकदमा दर्ज किया था। अब ईडी को कोर्ट से इन तीनों नेताओं को कस्टडी में लेकर पूछताछ करने की अनुमति मिल गई है। इसके बाद ईडी की टीम जल्द ही तीनों नेताओं से पूछताछ कर सकती है। 

आजम पर है किसानों की जमीन हड़पने का आरोप 

समाजवादी नेता आजम खां पर किसानों की जमीन हड़पने का आरोप है। जानकारी के मुताबिक, नियमों की धज्जियां उड़ाकर आजम खां ने किसानों की जमीनें ले लीं। इसके बाद कुछ किसानों ने इसकी शिकायत राज्यपाल से की थी। आरोप है कि आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर यूनिवर्सिटी के नाम पर जिन जमीनों का अधिग्रहण किया था। उनमें से कई जमीनें सरकारी हैं और यूनिवर्सिटी बनाने में सरकारी पैसे का इस्तेमाल किया गया। 

एक जुलाई को मुख्तार के खिलाफ मामला हुआ था दर्ज 

यूपी की बांदा जेल में बंद माफिया व बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने एक जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। आरोप है मुख्तार अंसारी ने एक सरकारी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा जमाया और उसे सात साल के लिए 1.7 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से एक निजी कंपनी को किराए पर दे दिया। ईडी इस रकम और कब्जा जमाने के मामले में अपनी पूछताछ करेगी। 

अतीक की 16 कंपनियों की मिली थी जानकारी 

माफिया अतीक अहमद के खिलाफ भी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया था। आरोप है कि  पिछले साल पुलिस ने अतीक की कुल 16 कंपनियां चिह्नित की थीं जिसमें से कई बेनामी थीं। इन कंपनियों में नाम तो किसी और का है लेकिन परोक्ष रूप से इनमें पैसा अतीक का लगा है। इनमें से ज्यादातर कंपनियों का कारोबार रियल इस्टेट से संबंधित है। यह भी जानकारी मिली है कि इन कंपनियों का लेनदेन करोड़ों में है। पुलिस अफसरों ने बताया था कि जिन 16 कंपनियों के बारे में जानकारी मिली है उनमें से तीन कंपनियां अतीक की पत्नी साइस्ता परवीन जबकि पांच रिश्तेदारों के नाम से रजिस्टर्ड हैं। आठ कंपनियां ऐसी हैं जिनके बारे में यह नहीं स्पष्ट हो सका है कि उनका मालिक कौन है।

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