सुबह हवा की गुणवत्ता कमोबेश बेहतर रही, लेकिन दोपहर बाद से इसमें तेजी से गिरावट दर्ज की गई और चार बजे तक राजधानी में 426 पर पहुंच गई। हवा में पराली जलाने से पैदा हुए प्रदूषकों की मात्रा करीब 29 फीसदी थी। सफर का पूर्वानुमान है कि मौसम में सकारात्मक बदलाव नहीं आया तो दिवाली से पहले वायु प्रदूषण छंटने के आसार नहीं हैं।
गत 30 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद एक नवंबर से ईपीसीए ने एनसीआर में ग्रैप लागू किया था। इसके बाद सूचकांक में कुछ सुधार आया और रविवार को वायु गुणवत्ता औसत स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान राजधानी में सूचकांक 171 दर्ज किया गया था।
हवा के अचानक खराब होने का क्या रहा कारण
सफर का आकलन है कि सोमवार को तेजी से खराब हुई आबोहवा की वजह मौसमी दशाओं में बदलाव रहा। सुबह हवा का रुख पंजाब व हरियाणा से दिल्ली की तरफ था। इस दौरान इसकी रफ्तार भी 30 किमी प्रति घंटे के करीब थी। लेकिन बाद में हवा 15 किमी प्रति घंटे पर आ गई। इससे प्रदूषक दिल्ली में स्थिर होते गए। इस दौरान तापमान कम होने के साथ नमी भी ज्यादा थी। इसका मिला-जुला असर यह रहा कि दिल्ली समेत एनसीआर के दूसरे शहरों का सूचकांक गंभीर स्तर तक पहुंच गया।
अशोक विहार क्षेत्र की हवा सबसे खराब
दिल्ली में अशोक विहार इलाके की हवा सबसे ज्यादा खराब रही। सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, इस इलाके का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 455 दर्ज किया गया। वहीं, अशोक विहार का सूचकांक 453 पर रहा। बवाना में 452, नरेला में 448, रोहिणी में 445, डीटीयू 443, आनंद विहार व सोनिया विहार 442, मुंडका व पूसा 441, आईटीओ 440, पंजाबी बाग 434, नेहरू नगर 432, जेएनयू 431, द्वारका में 426 पर था।
पीएम 2.5 व 10 खतरनाक स्तर से भी आगे
दिल्ली में धूल के महीन कणों पीएम 10 व पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक से भी आगे चला गया। सीपीसीबी के अनुसार इनका स्तर क्रमश: 361 व 500 पर था। हैरानी की बात यह कि ग्रैप लागू होने के बाद भी हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई है। केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण कानूनों को तोड़ने वालों पर किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
कहां कितना रहा एक्यूआई
गाजियाबाद 435
नोएडा 433
दिल्ली 426
ग्रेटर नोएडा 425
फरीदाबाद 421
गुरुग्राम 325