महज कुछ एकड़ जमीन को लेकर पूर्व PM स्व. चंद्रशेखर के कुनबे में विवाद,पुलिस तक पहुंचा मामला

 महज कुछ एकड़ जमीन को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर के कुनबे में विवाद गहराता जा रहा है। मामला थाने से लेकर पुलिस आयुक्त कार्यालय तक पहुंच चुका है। एक पक्ष का आरोप है कि दूसरे पक्ष ने फर्जी कागजात तैयार करके ‘दी भुवनेश्वरी निकेतन सहकारी भवन निर्माण समिति’ नामक सोसायटी की लगभग साढ़े चार एकड़ जमीन बेच दी।

गांव भोंडसी में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर द्वारा स्थापित भारत यात्रा केंद्र के नजदीक ही ‘दी भुवनेश्वरी निकेतन सहकारी भवन निर्माण समिति’ की लगभग 25 एकड़ जमीन है। सोसायटी में 15 सदस्य हैं। आधे से अधिक सदस्य पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के लोग हैं या फिर रिश्तेदार। बाकी सदस्य भी वे हैं जो उनके काफी नजदीक रहे हैं।

1994 में सोसायटी का गठन किया गया था। शुरुआत के कई वर्षों तक इसके अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री के बड़े बेटे पंकज सिंह रहे। वर्तमान में पूर्व प्रधानमंत्री के भतीजे प्रवीण सिंह अध्यक्ष हैं। सोसायटी के अध्यक्ष रहे पंकज सिंह सहित कुछ सदस्यों की ओर से भोंडसी थाने से लेकर पुलिस आयुक्त तक को शिकायत दी गई है कि प्रवीण सिंह सहित सात सदस्यों ने मिलीभगत करके सोसायटी की लगभग साढ़े चार एकड़ जमीन बेच दी है।

यह भी शिकायत है कि जमीन की बिक्री लगभग साढ़े पांच करोड़ में की गई, जबकि बाजार मूल्य 20 करोड़ रुपये के करीब है। पूर्व प्रधानमंत्री के काफी करीबी रहे व सोसायटी के सदस्य अवधेश पांडेय कहते हैं कि इस मामले में कोऑपरेटिव सोसायटी के रजिस्ट्रार से लेकर तहसीलदार तक की भूमिका की जांच होनी चाहिए। उन्हें पूरा भरोसा है कि पूरी निष्पक्षता से जांच होगी और जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

जमीन बिक्री को लेकर सोसायटी के अध्यक्ष प्रवीण सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। सोसायटी के सदस्य व पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के छोटे बेटे पूर्व सांसद नीरज शेखर ने इस बारे में अपना पक्ष देने से इनकार कर दिया।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर के राजनीतिक सलाहकार एचएन शर्मा का इस संबंध में कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पूरी दुनिया का विवाद सुलझाते थे। आज उनके कुनबे का विवाद थाने से लेकर पुलिस आयुक्त कार्यालय तक पहुंच गया। उनके कुनबे में केवल उनके परिवार के सदस्य ही शामिल नहीं हैं बल्कि वे सभी लोग शामिल हैं जो दिन-रात साये की तरह उनके साथ रहते थे। यदि वह जिंदा होते तो उन्हें काफी दुख होता। सोसायटी दो पक्ष में बंट गई है। बायलॉज में स्पष्ट है कि सोसायटी की जमीन किसी भी बाहरी व्यक्ति को नहीं बेची जा सकती है। इसके बाद भी बेच दी गई।

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