आपके घर का पता बदलने जा रहा है। नगर निगम नए सिरे से भवनों का जीआइएस (जियोग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम) सर्वे और नंबरिंग करने की तैयारी पूरी कर चुका है। इस काम में दिल्ली की एजेंसी सहयोग करेगी। नए सिरे से नंबरिंग होने पर जहां घरों का पता बदल जाएगा। वहीं छूटे हुए घर टैक्स के दायरे में आ जाएंगे।
पुराने घर के टैक्स में निर्मित क्षेत्र के आधार पर संशोधन किया जाएगा। निगम अधिकारियों का मानना है कि ज्यादातर घरों का आकार बीते कुछ सालों में बढ़ चुका है, लेकिन उनका टैक्स नहीं बढ़ा। जीआइएस सर्वे और दोबारा नंबरिंग से निगम की आय में इजाफा होगा। अभी तीन लाख 42 हजार 51 भवन इस वक्त नगर निगम के टैक्स के दायरे में हैं। भवन में घर, दुकान, कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स शामिल हैं।
2016-17 में वसूला गया था 70 करोड़ का टैक्स
वित्त वर्ष 2016-17 में इनसे 70 करोड़ रुपये टैक्स वसूला गया था। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में 109 करोड़ रुपये टैक्स की वसूली हुई थी। वर्तमान वित्त वर्ष 2018-19 में 150 करोड़ रुपये टैक्स वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन खजाने में केवल 137 करोड़ रुपये आए। नगर निगम अधिकारियों का अनुमान है कि करीब एक लाख से ज्यादा घर, दुकान और कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स इस वक्त टैक्स के दायरे से बाहर हैं। वह नगर निगम की सेवाओं का उपभोग कर रहे हैं, लेकिन टैक्स अदा नहीं करते।
सैंपल के तौर पर 10 वार्डों का करवाया था सर्वे
नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि सैंपल के तौर पर महीनों पहले दस वार्डो का सर्वे कराया गया था। जनवरी में शासन की तरफ से पूरे निगम क्षेत्र में जीआइएस सर्वे और नंबरिंग करने के लिए दिल्ली की एजेंसी नियुक्त की गई थी। उसे सर्वे शुरू करने से पहले जानकारी चाहिए थे। शहर से जुड़े नक्शे चाहिए थे। वह उसे मुहैया करा दिए गए हैं। चुनाव बाद सर्वे और नंबरिंग कार्य शुरू हो जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि सर्वे हॉरिजोंटल और वर्टिकल होगा। ताकि, जमीन पर बने एक-एक भवन का ब्योरा जुटाया जा सके। बहुमंजिला इमारतों की जानकारी भी जुटाई जा सके। अधिकारियों ने बताया कि घरों के नंबर बदलने से किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। नए नंबर के साथ पुराना नंबर अंकित रहेगा।
बनाया जाएगा मोबाइल एप
सर्वे एजेंसी को एक मोबाइल एप बनाने की जिम्मेदारी भी दी गई है। इस एप के लिए नगर निगम का बेस मैप बनाया जाएगा। उस पर सर्वे के आधार पर सभी भवनों को अंकित किया जाएगा। प्रत्येक भवन का आकार और टैक्स संबंधी जानकारी उस पर दर्ज होगी। ताकि, दफ्तर में बैठ कर निगम अधिकारी प्रत्येक भवन का आकार और अन्य ब्योरा देख सकते हैं। शहरवासी भी अपने भवन का ब्योरा देख सकें। दूसरे विभागों के लिए उपयोगी नगर निगम की एप्लीकेशन अन्य विभागों के लिए भी उपयोगी होगी।
नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि एजेंसी बेस मैप पर नदी, नाले, सीवर, पानी की लाइन, हरित पट्टी, सड़कें और पार्क अंकित करेगी। अन्य विभागों को जब कोई कार्य करना होगा तो वह इस बेस मैप की मदद ले सकते हैं। उदाहरण के तौर पर बिजली विभाग अंडर ग्राउंड तार डालने के लिए इसकी मदद ले सकता है।
मुख्य कर निर्धारण अधिकारी संजीव कुमार सिन्हा ने कहा कि जीआइएस सर्वे और नंबरिंग करने के लिए शासन से एजेंसी तय है। नई नंबरिंग होने से घरों का पता बदल जाएगा। इससे किसी को दिक्कत नहीं होगी। पुराना पता नए नंबर के नीचे अंकित रहेगा।