जानिये! कहाँ टूटा झूट दिखाने वाला आईना!

Exclusive Story by
Sr. Journalist
Shashwat Tewari

राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ के ऐतिहासिक रानी पदमावती के महल में काँच के जो दर्पण लगे हुए थें, उन्हें 5 मार्च को तोड़ दिया गया। पुलिस ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ कर जांच शुरू कर दी है। चूंकि काँच के दर्पण पुरातत्व विभाग की सम्पत्ति थे इसलिए विभाग को मुकदमा तो दर्ज करवाना तो चाहिए ही था। लेकिन यह भी सही है कि पुरातत्व विभाग के ये काँच झूठ दिखा रहे थे। ऐसे में अच्छा हुआ अब झूठ दिखाने वाले काँच रानी पदमावती के महल में नहीं है। असल में पुरातत्व विभाग ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महल में कांच के दर्पण लगवाए। पिछले अनेक वर्षों से महल के गाईड यह बता रहे हैं कि आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी को रानी पदमावती ने काँच में ही अपनी परछाई दिखाई थी। समझ में नहीं आता कि पुरातत्व विभाग के अधिकारी इस कहानी को कहा से ले आए। भारतीय इतिहास के जानकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी और रानी पदमावती का इतिहास सन 1303 ईस्वी का है। उस समय तो काँच का अविष्कार भी नहीं हुआ था। इतना ही नहीं चित्तौड़ के वर्तमान महल का निर्माण रानी पदमावती के 300 साल बाद हुआ। जाहिर है कि रानी पदमावती की वीरता की छवि को खराब करने के लिए ही काँच की कहानी को लाया गया। इस मामले में पुरातत्व विभाग को भी शर्म आनी चाहिए कि वह पर्यटन के लालच में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा है। इतिहास में जो जानकारी आई है, उसके मुताबिक तो जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला किया था। तब रानी पदमावती ने महल की अन्य महिलाओं के साथ अग्नि कुण्ड में कूद कर अपनी जान दे दी थी यानि जिस वीर रानी ने जौहर किया, उस रानी की वीरता के विपरीत जानकारी दी जा रही है।
भंसाली बना रहे फिल्म
रानी पदमावती के नाम पर पैसे कमाने के लिए संजय लीला भंसाली भी फिल्म बना रहे हैं। पिछले दिनों जब इस फिल्म की शूटिंग जयपुर में हो रही थी, तब राजपूत समाज के युवाओं के हाथों से भंसाली को थप्पड़ भी खाने पड़े। थप्पड़ खाने के बाद भंसाली ने घोषणा की कि वह फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं दिखाएंगे, जिसमें रानी पदमावती, खिलजी की प्रेमिका प्रतीत हो। भंसाली अपने वायदे पर कितना कायम रहते हैं, यह तो फिल्म के आने के बाद ही पता चलेगा।

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