सपा–बसपा: अस्तित्व बचाने की बड़ी चुनौती !!!

Pi Exclusive :

अपना-अपना स्वार्थ हैं, जो दोनों के एक साथ रहते हुए नहीं पूरा हो सकते हैं।

यूपी में सम्पन्न हुए 2017 के विधानसभा चुनाव मे प्रदेश की जनता ने मुलायम सिंह के विखंडित परिवार को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया। इस विखंडन और कलह के कारण ही कहीं न कहीं प्रदेश की जनता को यह विश्वास हो गया था कि शिवपाल-मुलायम और अखिलेश के अलग होने से समाजवादी पार्टी का कल्याण नहीं हो सकता है। यदि ये दोनों एक नहीं हुये, तो फिर से सत्ता मे आने के लिए अखिलेश को फिर ज़ीरो से मेहनत करनी पड़ेगी।
अब तो गेंद मोदी के पाले मे हैं, यदि उन्होने यूपी की जनता से किए हुए वादों को पूरा कर दिया तो आने वाले समय मे सपा–बसपा को अपने अस्तित्व को जिंदा रखने की बड़ी चुनौती खड़ी हो जायेगी। PM मोदी के सामने अपने वायदे पूरे करने के सिवा कोई चारा नहीं है, नहीं तो 27 महीने बाद होने वाले चुनाव मे उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव मे बहुत ही घाटा उठाना पड़ सकता है।
उन्हे जो सत्ता मिली है उसमें उत्तर प्रदेश का बहुत बड़ा योगदान है। इसी कारण 2019 मे फिर से सत्ता प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि विधानसभा के चुनाव मे जितने भी वायदे किए हैं, वे सभी पूरे किए जाएँ। वैसे उन्होने जो वादे किए हैं, उन्हें शत – प्रतिशत पूरा करना बहुत कठिन है, लेकिन वे उसका 70-80 प्रतिशत भी पूरा कर दिये, तो जनता उन्हे फिर से सत्तासीन कर देगी । वरना एक बार फिर उन्हे चुनौती फेस करनी पड़ेगी ।

वैसे भी जब-जब समाजवादी पार्टी विपक्ष मे रहती है, तब-तब विपक्ष की भूमिका बहुत ही बेहतर तरीके से निभाती है।

मोदी सरकार के सामने किसानों का ऋण माफ करना, महिलाओं के लिए सुरक्षा का प्रबंध करना, लैपटाप वितरण करना, गाँव हो या शहर 24 घंटे बिजली देना, पुलिस पर अंकुश लगाना। भ्रष्टाचार को समाप्त करना, ये सब बड़ी चुनौतियाँ हैं। परंतु यूपी की जनता को पूर्ण विश्वास है की उनके अच्छे दिन जरूर आयेगे और पूर्ण बहुमत की BJP सरकार अपने सभी वादे पुरे करेगी।

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