……ताकि नगर निगमों से लेकर नगर पंचायतों तक ‘केसरिया’ लहराया जा सके!!(Pi Exclusive)

(Pi Exclusive)

काम संभालते ही भाजपा सरकार को एक और चुनावी जंग से जूझना होगा। यह चुनाव नगरीय निकायों के हैं जिसका कार्यकाल जुलाई-अगस्त में खत्म हो रहा है। समय से चुनाव हुए तो पार्टी को विधानसभा चुनाव में चली मोदी लहर का लाभ भी मिल सकता है। फिलहाल राज्य निर्वाचन आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। आयोग को 20 मई तक अधिसूचना जारी करनी है।
समय से चुनाव कराने के लिए जहां सरकार को प्राथमिकता पर निकायों के परिसीमन व आरक्षण का काम पूरा करना होगा, वहीं राज्य निर्वाचन आयोग पर मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जिम्मेदारी है। सपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय तक बड़ी संख्या में नए नगरीय निकायों के गठन के साथ ही गांवों को शामिल कर इस चुनाव का दायरा बढ़ा दिया है। ऐसे में निकायों का चुनाव कराने से पहले परिसीमन कराना होगा, जिसमें 30-35 दिन तक लगेंगे। आयोग के मतदाता सूची पुनरीक्षण और सरकार के ओबीसी आरक्षण के लिए रैपिड सर्वे और पदों के आरक्षण की प्रक्रिया को पूरी करने में भी न्यूनतम सवा माह लगना तय है। इसलिए सरकार को अपने हिस्से का काम निपटाने के लिए युद्ध स्तर पर जुटना होगा।
राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल का कहना है कि समय से निकाय चुनाव कराने में आयोग को कोई दिक्कत नहीं है लेकिन, आयोग तभी अधिसूचना जारी कर सकता है जब परिसीमन व आरक्षण का काम पूरा हो। अग्रवाल के मुताबिक सभी निकायों का कार्यकाल 13 अगस्त तक खत्म हो रहा है। चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के लिए आयोग को 20 मई (पिछली बार 25 मई को अधिसूचना हुई थी) के आसपास अधिसूचना जारी करनी ही होगी। ऐसा न होने की दशा में अक्टूबर में ही चुनाव कराए जा सकेंगे। उस वक्त बरसात की संभावना होती है जिसमें चुनाव ठीक नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि पिछली बार समय से चुनाव न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया था। संविधान के मुताबिक निकायों का कार्यकाल खत्म होने के छह माह में चुनाव कराना जरूरी है।
विधानसभा चुनाव में ‘मोदी लहर’ के चलते मिले प्रचंड बहुमत का फायदा उठाने के लिए भाजपा नेता भी जल्द से जल्द निकाय चुनाव चाहते हैं ताकि नगर निगमों से लेकर नगर पंचायतों तक में भी ‘केसरिया’ लहराया जा सके। इससे नगर के साथ ही गांव में भी उसकी जमीन पुख्ता होगी। भाजपा का नगर निगमों में वर्चस्व है लेकिन पालिका परिषद व नगर पंचायतों में सपा व अन्य दलों का कब्जा रहा है।
नवगठित नगरीय निकाय : सपा सरकार ने जिन निकायों का गठन किया है उनमें फीरोजाबाद नगर निगम के अलावा गौरीगंज व खोड़ा-मकनपुर नगर पालिका परिषद, लालगंज, नसीराबाद, वलीदपुर, परसपुर, चिरैयाकोट, माहुल, मधुबन, बनकटी, बेलहरा, बैरिया, बरियारपुर, रुधौली बाजार, अगवानपुर, सोनौली, शाहजहांपुर(मेरठ), रानीगंज, पाकबड़ा, हर्रा, खिवाई, बदलापुर, ढकिया व एका नगर पंचायत है। सहारनपुर नगर निगम भी है लेकिन परिसीमन न होने से उसका चुनाव नहीं हो सका है। 1पंचायत से परिषद बनी निकाय1सात नगर पंचायतों को उच्चीकृत करके नगर पालिका परिषद भी बनाया गया है। इनमें नगर पंचायत दातागंज, गजरौला, झींझक, खेकड़ा, कुशीनगर, हाटा व भिनगा नगर पंचायतें हैं जो अब नगर पालिका परिषद बन गईं हैं।

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