सुप्रीम कोर्ट की राय पर योगी राज में हो सकता है अमल !!!

(Pi Exclusive)

 

 

21 मार्च को भगवान राम की अयोध्या नगरी को लेकर दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए। पहला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे.एस. खेहर की टिप्पणी है। जस्टिस खेहर ने कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण का मामला धर्म, आस्था और देश सौहार्द से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस मुद्दे पर अदालत के बाहर आपसी सहमति बनाई जाए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी मध्यस्थता करने को तैयार है।

दूसरा निर्णय यूपी की नव-निर्वाचित योगी सरकार ने लिया है। योगी सरकार ने अयोध्या में रामायण म्यूजियम के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार को 25 एकड़ भूमि आवंटित करने पर सहमति दे दी है। म्यूजियम के लिए केन्द्र सरकार ने 150 करोड़ रुपए का बजट आवंटित कर रखा है। पिछली सपा सरकार ने जमीन नहीं दी थी, इसलिए म्यूजियम का काम शुरू नहीं हो सका। अब चूंकि यूपी में योगी की सरकार है, इसलिए रामायण म्यूजियम तो बन ही जाएगा। जहां तक मंदिर निर्माण का सवाल है तो इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद यह पहला अवसर है जब यूपी में मंदिर निर्माण की पक्षधर सरकार बनी है। असल में 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जो व्यू दिया, वैसा ही व्यू पूर्व में हाईकोर्ट ने भी रखा था। लेकिन यूपी में मंदिर निर्माण विरोधी सरकारें होने की वजह से हिन्दू और मुस्लिम समुदाय में आपसी सहमति नहीं हो सकी।

किसी बड़े मुद्दे पर दो समुदायों की आपसी सहमति में सरकार का रुख बहुत अहमियत रखता है। यह माना कि अयोध्या में मंदिर निर्माण पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के पदाधिकारियों की सहमति करवाना कठिन होगा, लेकिन यदि आम सहमति के दायरे में मुस्लिम समुदाय के अन्य प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए तो कोई रास्ता निकल सकता है। इसी प्रकार हिन्दू समुदाय के प्रतिनिधियों को भी समझाने में योगी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सकते हैं। सवाल यह नहीं है कि चुनाव प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ ने मंदिर निर्माण की बात कही थी। सवाल यह है कि अब यूपी में ऐसी सरकार है जो मंदिर निर्माण के पक्ष में है। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि 19 मार्च को योगी ने सीएम के पद की शपथ ली और मात्र दो दिन बाद सुप्रीम कोर्ट का व्यू सामने आ गया। यूपी के मुख्यमंत्री होने के नाते सीएम योगी अब हिन्दू और मुसलमानों के बीच सहमति में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

21 मार्च को एवीपी न्यूज चैनल ने योगी पर एक स्टोरी दिखाई है। यह स्टोरी योगी के निर्वाचन क्षेत्र गोरखपुर की है। इसमें दिखाया गया है कि गोरखपुर के मुसलमान योगी को कितना चाहते हैं। योगी जिस आश्रम के गद्दीनशी है, उसमें सारे निर्माण कार्य एक मुस्लिम की देखरेख में ही होते हैं। चैनल पर किसी मुसलमान ने कहा कि योगी ने मस्जिद की जमीन से कब्जा हटवाया तो किसी ने कहा कि योगी मुसलमानों के सच्चे हमदर्द है। यानि मीडिया में अब तक योगी की जो इमेज दिखाई जा रही थी, उसके विपरीत गोरखपुर के मुसलमानों मे योगी की इमेज है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में न्यूज चैनलों को पूरे यूपी में ऐसे ही हालात मिल जाए।

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