मृत साथी को जिंदा करने के लिए 2 घंटे तक बंदर ने दी थेरेपी

आज के दौर में मानवीय प्रवृत्ति तेजी से बदलती जा रही है और संवेदनशीलता कम हो गई है. लेकिन मूक प्राणियों में संवेदनशीलता और अपने साथी के प्रति अपनापन किस कदर आज भी बरकरार है, इसका ताजा उदाहरण खरगोन जिले के समीप बलवाड़ी गांव में नजर आया.

जान बचाने की कोशिश

मध्य प्रदेश के खरगोन में एक बंदर ने अपने साथी के करंट की चपेट में आने पर करीब दो घंटे तक कभी मुंह तो कभी हाथ से थैरेपी दी. यहां तक की हार्ट पम्पिंग भी की. बंदर की ये आत्मीयता देख लोग भाव विभोर हो गए और उन्होंने बंदर की शवयात्रा निकालकर विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया. बंदर की अपने साथी को बचाने की थेरेपी अद्भुत थी. इसे लोगों ने कैमरे में कैद कर लिया.

चौंकाने वाली बात है कि साथी की मौत से स्तब्ध होकर दर्जनभर बंदर 2 घंटे तक क्षेत्र में ही रहे. मौत से व्याकुल उसके साथी बंदरों को  और जो कुछ वहां घटा, उसे देखकर ग्रामीणों ने मृत बंदर का ससम्मान अंतिम संस्कार किया.

ग्रामीण पसीज गए

मृत बंदर के प्रति अपने साथियों का लगाव देखकर ग्रामीण पसीज गए. साथियों का समर्पण और उसे बचाने के प्रयासों ने मूक प्राणियों के अथक प्रयास ने ग्रामीणों में दया की भावना पैदा कर दी. ग्रामीण उस मृत बंदर का अंतिम संस्कार करने को उद्वलित हो गए.

आज के दौर में यह हालत है कि लोग हादसों को देख मदद के बजाय मोबाइल में उस पल को कैद करने में ज्यादा लालायित रहते हैं. मानव प्रवृत्ति के लोगों के बीच अमानवीय व्यवहार ज्यादा नजर आने लगा है, वहीं जब मूक प्राणी ऐसे नजारे दिखा दे तो शायद यह संसार की लीला का न्यारा पल ही कहा जा सकता है.

गांववालों ने किया अंतिम संस्कार

बलवाड़ी के सरपंच छगन मोरे ने इस पल से द्रवित होकर ग्रामीणों के साथ मिलकर मृत बंदर का अंतिम संस्कार किया. उन्होंने बताया, ‘इनकी संवेदनशीलता ने हमें यह कदम उठाने को मजबूर कर दिया.’

वहीं जनपद पंचायत सदस्य दिनेश सागोरे ने कहा कि वैसे बंदर भगवान हनुमान का स्वरूप माने जाते हैं, ये पूज्यनीय हैं. हालात देखते हुए हमने मृत बंदर का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया. इस दुःखद पल में में भी सुख की अनुभूति हो रही है.

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