पूर्व अमेरिकी रक्षामंत्री ने एक प्रमुख नीति पत्र में लिखा कि क्षेत्र में चीन अलग-थलग पड़ गया है और भारत इस इलाके में अमेरिका के अहम और भरोसेमंद सहयोगी के रूप में उभर कर सामने आया है। एश्टन कार्टर ने कहा कि भारत इस बात का उदाहरण पेश करता है कि किस प्रकार से सिद्धांत आधारित एवं समावेशी नेटवर्क से होने वाला सामरिक लाभ रुकावटों को पार कर सकता है।
उन्होंने कहा, दक्षिण एशिया में अमेरिकी प्रभाव से एक समय बेहद आशंकित रहने वाला भारत मेरे रक्षा मंत्री रहते हुए दो वर्षीय कार्यकाल के दौरान क्षेत्रीय सुरक्षा में अधिक सक्रिय हुआ। इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ।
हावर्ड कैनेडी स्कूल में बेल्फर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के निदेशक कार्टर ने कहा कि भारत का बढ़ता आर्थिक और राजनीतिक आत्मविश्वास, उपमहाद्वीप में सामरिक स्थिति का उसका आकलन और 2014 में नरेन्द्र मोदी का पीएम निर्वाचित होना जैसे अनेक कारण हैं, जिससे भारत ने अमेरिका के साथ करीबी संबंध बनाने का निर्णय किया।