पति-पत्नी में हमेशा प्यार बना रहे, ऐसा चाहते हैं तो ध्यान में जरूर रखें ये बातें

पति-पत्नी के बीच दूरियों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए, लेकिन वजह कई बन जाते हैं। हंसती-खिलखिलाती दुनिया चाहिए तो कोशिश करें कि वक्त के साथ आपके बीच का प्यार जिंदा रहे…विश्वास बना रहे।

रश्मि और राहुल की शादी को दो साल हो गए हैं। पहले दोनों एक-दूसरे के साथ काफी समय बिताते थे। हफ्ते में एक बार साथ खाना खाने के लिए बाहर चले जाते थे। महीने में कभी शहर के बाहर का टूर भी लग जाता था। इस तरह दोनों एक-दूसरे के काफी करीब और खुश रहते थे। लेकिन एक साल पहले जब रश्मि ने बच्चे को जन्म दिया, उसके बाद दोनों का समय थोड़ा बंट गया।

अब रश्मि राहुल को ज्यादा टाइम नहीं दे पाती थी, इस वजह से राहुल चिड़चिड़ा रहता था। ऐसा नहीं था कि रश्मि अब राहुल से प्यार नहीं करती थी, पर बच्चे के चलते उसका समय बंट गया था और जिम्मेदारी पहले से दोगुनी हो गई थी। इस चीज को राहुल समझ नहीं पा रहा था। इसके चलते दोनों के बीच नाराजगी और लड़ाइयां बढ़ने लगीं। ऐसा सिर्फ रश्मि और राहुल के साथ ही नहीं होता। यह कहानी हर दूसरे दंपति की है।

शादी के बाद प्रत्येक दंपति अपना वैवाहिक जीवन खुशियों से भरपूर बनाना चाहता है। लेकिन कितनों की यह मनोकामना पूर्ण होती है? अगर वे कुछ बातों को ध्यान रखें, तो ताउम्र उनकी खुशियां कायम रह सकती है। शादी के बाद जब तक बच्चे नहीं होते, दोनों के बीच प्यार और रोमांस खूब चलता है, क्योंकि दोनों का सारा समय एक-दूसरे के लिए होता है।

बच्चा हो जाने पर पत्नी को मां की जिम्मेदारी भी निभानी होती है। जाहिर है पति से ज्यादा लगाव संतान से हो जाता है और वह पति को अधिक समय नहीं दे पाती है। पति इसे अपनी उपेक्षा न समझें। ऐसा होना स्वाभाविक है। फिर भी, पत्नी को चाहिए कि वह पति और बच्चा दोनों को शिकायत का मौका न दें।

परिवार के महत्वपूर्ण फैसले परस्पर सलाह मशवरे और सहमति से लेने चाहिए, तभी दांपत्य की खुशी मिलती है। अपने निर्णय को थोपना उचित नहीं। पुरुषों का स्वभाव है कि वे अपने आपको अधिक अक्लमंद समझते हैं और पत्नी से सलाह लेना जरूरी नहीं समझते। हो सकता है कि जल्दबाजी में पति द्वारा लिया गया फैसला गलत हो, इसलिए पत्नी के विचार जानने के बाद ही अंतिम निर्णय करना चाहिए।

आर्थिक आजादी भी जरूरी
यदि पत्नी कामकाजी है, तो उसकी दोहरी थकान को पति को समझना चाहिए तथा घर और बाहर के कामों में उसका हाथ बंटाना चाहिए। यदि पत्नी हाउसवाइफ है, तो इसका मतलब यह नहीं कि पति घर के काम में उसकी मदद न करें। पति का सहयोग मिलने से उसके मन में पति के प्रति आदर और भी बढ़ जाता है।

पत्नी को आर्थिक आजादी मिलनी चाहिए, ताकि वह अपनी मनमर्जी से खर्च कर सके। उससे हिसाब मांगने की जरूरत नहीं है और न ही उसकी खरीद को फिजूलखर्च बताएं। पति को थोड़ा उदार होना चाहिए।

खाने के मामले में भी एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का ख्याल रखें, तो खाने का मजा दोगुना हो जाता है। साथ बैठकर खाने का मजा तो कुछ और ही है। कभी-कभार होटल, रेस्त्रां में भी जाकर खाने का लुत्फ उठाया जा सकता है। इससे दांपत्य की खुशियों में इजाफा होता है। पत्नी तो रोजाना खाना बनाती ही है, कभी किसी दिन पति भी अपने हाथ से खाना बनाकर पत्नी को खिलाएं। पत्नी के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने का यह भी एक तरीका है।

भावनाओं का रखें ख्याल
पति हो या पत्नी, दोनों को एक-दूसरे की खुशी का ख्याल रखना चाहिए। ऐसी कोई बात या व्यवहार न करें, जिससे दूसरे की भावना आहत हो या सम्मान को ठेस पहुंचे। दोनों को ही परस्पर इच्छाओं और भावनाओं का ख्याल रखते हुए ही व्यवहार करना चाहिए।

तारीफ है बहुत जरूरी
महिलाएं सौंदर्यप्रिय होती हैं और वे अपने पति के लिए सजती हैं, शृंगार करती हैं। इस पर पति को मुक्तकंठ से उसकी तारीफ करनी चाहिए। वह पति के मुंह से अपनी तारीफ सुनने के लिए बेताब होती है। इससे उसे खुशी मिलती है। पति भी जब स्मार्ट, हैंडसम लगे तो उन्हें भी बधाई देनी चाहिए। पत्नी से तारीफ सुनकर पति का सीना भी फूल जाता है।

साल में कम से कम दो बार पति-पत्नी घर से बाहर अन्यत्र घूमने जाएं और उन दिनों को याद करें जब वे हनीमून पर थे। इससे उनमें रोमांस और रोमांच दोनों पैदा होंगे। यही तो दांपत्य की खुशी है। शादी के शुरुआती दिनों का प्यार शादी के पांच दशक बाद भी कायम रहना चाहिए।

जो भी कहें, स्पष्ट कहें
पति-पत्नी एक-दूसरे को ताना न मारें और न ही व्यंगात्मक रूप में बात करें। जो भी हो स्पष्ट कहें, घुमा फिराकर नहीं। पत्नी कभी भी अपने ससुराल को न कोसे और न ही पति उसके मायके वालों को। अन्यथा दांपत्य की मधुरता समाप्त हो जाती है।

स्वंय पर रखें भरोसा
अपने आपसी विवादों या मतभेदों को स्वयं अपने स्तर पर सुलझाएं। यदि संभव नहीं हो, तो परिजनों की मध्यस्थता स्वीकार करें। चाहे तो किसी काउंसलर की सलाह लें, ताकि आपका दांपत्य बिखरने से बच जाए। पति-पत्नी का रिश्ता अटूट होता है, जिसे उन्हें ताउम्र निभाना चाहिए। तलाक या अलगाव की बात मन में लाना ही नहीं चाहिए।

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