अमेरिका में साल 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को दो हिंदू महिलाएं चुनौती दे सकती हैं। ये दो महिलाएं हैं तुलसी गेबार्ड और कमला हैरिस। दोनों ही अमेरिका में काफी चर्चित हैं। जहां तुलसी हिंदू धर्म पर अपने विचारों को लेकर काफी मशहूर हैं, वहीं कमला भी ‘फीमेल ओबामा’ के नाम से अपनी एक अलग जगह बना चुकी हैं। चलिए आपको इन दोनों के बारे में खास बातें बताते हैं-
तुलसी गेबार्ड
अमेरिकी सदन की पहली हिंदू सांसद तुलसी गेबार्ड 2020 के राष्ट्रपति चुनावों की दावेदार होंगी। सांसद एलिजाबेथ वारन के बाद 37 वर्षीय गबार्ड डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की दूसरी महिला दावेदार हैं। तुलसी हवाई से अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स में चार बार की डेमोक्रेट सांसद रह चुकी हैं। हवाई के लोग उन्हें बेहद पसंद करते हैं।
बचपन में अपना लिया था हिंदू धर्म
तुलसी गेबार्ड का जन्म 12 अप्रैल 1981 को अमेरिका के लेलोआलोआ में हुआ। तुलसी ने बचपन में ही हिंदू धर्म अपना लिया और वह भारतीय-अमेरिकियों के बीच खासी लोकप्रिय हैं। उनके माता-पिता ईसाई हैं। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं जिन्होंने भगवत गीता हाथ में पकड़ कर शपथ ली थी। तुलसी पूरी तरह शाकाहारी हैं और गीता के कर्मयोग में विश्वास रखती हैं।
अगर वह निर्वाचित होती हैं तो सबसे युवा एवं अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। इसके अलावा वह पहली गैर ईसाई एवं पहली हिंदू होंगी जो शीर्ष पद पर काबिज होंगी।
भारतवंशियों से मांग चुकी हैं राय
तुलसी देशभर के जानेमाने भारतवंशियों से एक हिंदू व्यक्ति के देश के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की संभावना पर राय मांग चुकी हैं। तुलसी के करीबियों के अनुसार छह से अधिक प्रतिष्ठित हिंदू-अमेरिकी नागरिकों ने एक ई-मेल के जरिये देशभर में समुदाय के कुछ शीर्ष सदस्यों से इसपर राय मांगी थी। ई-मेल में कहा गया था कि इतिहास में पहली बार इस पद के लिए किसी हिंदू उम्मीदवार की संभावना पर गेबार्ड के साथ अपने विचार साझा करने और समुदाय पर इसके असर को लेकर राय दें।
टिकट पाने वाली पहली हिंदू होंगी
अगर तुलसी को टिकट मिलता है तो वह अमेरिका के दो बड़े राजनीतिक दलों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी से इस पद की टिकट पाने वाली वह पहली हिंदू होंगी। तुलसी के साथ 12 से अधिक डेमोक्रेट हैं, जिन्हें चुनाव में पार्टी के संभावित उम्मीदवारों के तौर पर देखा जा रहा है। इनमें भारतीय मूल की सीनेटर कमला हैरिस भी शामिल हैं।
जब प्रधानमंत्री मोदी से हुई खास मुलाकात
तुलसी पीएम मोदी को भी काफी पसंद करती हैं। जब मोदी अमेरिका गए थे तब उन्होंने उनसे मुलाकात की थी। उनकी पीएम मोदी से मुलाकात उस वक्त हुई जब वह अमेरिका के दौरे पर थे। मुलाकात के दौरान तुलसी ने प्रधानमंत्री को ‘भगवदगीता’ भेंट की थी।
तुलसी ने मोदी को अमेरिकी वीजा न दिए जाने का विरोध भी किया था। लोकसभा चुनाव में जब भाजपा को बहुमत मिला था तो उन्होंने पीएम मोदी को खुद फोन कर बधाई दी थी।
जब हिंदुओं को बताया नरभक्षी, तो क्या बोलीं तुलसी
अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन के खिलाफ भी तुलसी विरोध दर्ज कर चुकी हैं। बनारसी साधुओं के अपमान एवं हिंदुओं को नरभक्षी बताने पर शो पर तुलसी ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि सीएनएन अपनी शक्ति और प्रभाव का इस्तेमाल हिंदुओं के खिलाफ लोगों में गलतफहमी बढ़ाने के लिए कर रहा है।
उन्होंने कहा था कि सीएनएन ऐसे समय पर यह कार्य कर रहा है जब पूरे अमेरिका में लोगों में एक दूसरे के प्रति समझ बढ़ाने और विभिन्न धर्म के बीच आपसी सद्भाव बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा था कि सीएनएन के नए शो बिलिवर्स के लिए सही तरीके से शोध नहीं किया गया और इसे सनसनीखेज बनाने का प्रयास किया गया। सनसनीखेज बनाने के लिए रेजा असलान ने जाति, कर्म आदि के बारे में गलत कहा।
ऐसा क्या दिखाया गया था शो में?
इस शो में दिखाया गया था कि अघोरी साधू इंसान की खोपड़ी में असलान को शराब पिलाते हैं। वहीं एक जगह अघोरी साधू कहता है कि ज्यादा बोलोगे तो तुम्हारा गला काट देंगे। इस पर असलान कहते हैं कि हमने यहां आकर गलती की।
इस कारण हो चुकी है आलोचना
समलैंगिकता के खिलाफ दिए जाने वाले बयानों के कारण तुलसी की काफी आलोचना भी हो चुकी है। हालांकि हाल ही में उन्होंने अपने पुराने बयानों के लिए माफी मांगी है। उन्होंने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि उनके विचार तभी से काफी बदल गए हैं, जब से उनके बयानों से एलजीबीटीक्यू समुदाय को ठेस पहुंची।
स्टेट रिप्रेजेंटेटिव रहते हुए तुलसी ने समलैंगिक विवाह के खिलाफ कैंपेन चलाया था। उन्होंने ये कैंपेन ग्रुप अलाइंस फॉर ट्रेडिश्नल मैरिज एंड वैल्यूज संगठन के साथ चलाया था। उस वक्त गेबार्ड की उम्र 20 साल के करीब थी। गेबार्ड के पिता ने इस संगठन की स्थापना की थी। जो इस वक्त होनोलूलू शहर के काउंसिलमैन और स्टेट सीनेटर हैं। समलैंगिक विवाह के खिलाफ पैरवी करने के लिए उन्होंने इस संगठन की स्थापना की थी।
गेबार्ड ने वीडियो में बताया कि वह सामाजिक रूप से एक रूढ़िवादी परिवार में पली बढ़ी हैं और ये विश्वास करती आई हैं कि शादी एक पुरुष और एक महिला के बीच ही हो सकती है। उन्होंने कहा कि वह जीवन के अनुभवों के आधार पर अपने विचार तय करती हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी पेश करेंगी भारतवंशी कमला हैरिस
कमला हैरिस
भारतीय मूल की अमेरिकी सीनेटर व कैलिफॉर्निया की पूर्व अटॉर्नी जनरल कमला हैरिस ने सोमवार को घोषणा कर दी कि वह 2020 में राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी पेश करेंगी। कमला डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवारों में शामिल हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ जमकर आवाज उठाने वाली कमला यदि चुनाव जीतीं तो अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी।
54 वर्षीय कमला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की निंदा करने में आगे रही हैं। उन्होंने अपने अभियान की थीम रखी है, ‘कमला हैरिस फॉर द पीपल’। उन्होंने कहा है कि मार्टिन लूथर किंग जूनियर डे को उन्होंने इस घोषणा के लिए चुना है जिन्होंने महात्मा गांधी से प्रेरणा ली थी। कमला हैरिस तमिलनाडु में जन्मी मां और अफ्रीकी-अमेरिकी पिता की बेटी हैं।
कमला 2016 में सीनेट के लिए निर्वाचित हुई थीं। इस जीत के साथ ही वे सीनेट में पहुंचने वाली भारतीय मूल की पहली और इकलौती महिला सांसद बन गईं। पॉलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर में कराए गए डेमोक्रेट मतदाताओं के पोल में राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप से मुकाबले के लिए उन्हें पांचवीं पसंदीदा नामांकित प्रत्याशी माना गया था।
जब फीमेल ओबामा के नाम से बनाई पहचान
कमला हैरिस को फीमेल ओबामा भी कहा जाता है। ओबामा शासनकाल के दौरान कमला को फीमेल ओबामा के नाम से जाना जाता था क्योंकि वह ओबामा की बेहद करीबी रह चुकी हैं। 2016 के सीनेट चुनाव अभियान में ओबामा ने कमला का समर्थन किया था। कमला 2011 से 2017 तक कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल भी रह चुकी हैं। उनका जन्म कैलिफोर्निया के ही ओकलैंड में हुआ। उनकी मां श्यामला गोपालन 1960 में चेन्नई छोड़कर अमेरिका में बस गई थीं।
कमला की मां हिंदू हैं
कमला का पूरा नाम कमला देवी हैरिस है। उनकी मां का नाम श्यामला है और वह हिंदू हैं। कमला हैरिस का परिवार एक देश से नहीं है। उनकी मां भारत से हैं और पिता अफ्रीका से। वहीं कमला का जन्म कैलिफोर्निया में हुआ था। कमला की मां श्यामला गोपालन दक्षिण भारत से हैं और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की थी। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका आ गईं। वह यहां अपनी पढ़ाई के लिए आई थीं और इसके बाद वापस भारत लौटने वाली थीं। लेकिन वह अमेरिकन नागरिक अधिकार अभियान में सक्रिय रहने लगीं।
उसी दौरान उनकी मुलाकात डोनाल्ड हैरिस से हुई। जो मूल रूप से जमाइका के रहने वाले हैं। वह अमेरिका में अपनी शिक्षा पूरी करने आए थे। दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। श्यामला ने डोनाल्ड से शादी कर ली और अमेरिका में ही बस गईं। कमला और उनकी बहन चर्च भी जाती हैं और मंदिर भी।
कमला हमेशा से ही नागरिक अधिकारों के लिए अपनी आवाज बुलंद करती रही हैं। वह अफ्रीका और भारत दोनों देशों में अपने रिश्तेदारों से मुलाकात करने जाती हैं। कमला राजनीति में इसलिए आईं ताकि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ सकें। वह महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए हमेशा खड़ी रहती हैं।