हांगकांग मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने किया हस्तक्षेप, शी जिनपिंग को दिया यह सुझाव !!!

(Pi Bureau)

हांगकांग में प्रत्यर्पण बिल को लेकर पिछले 10 हफ्तों से हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वहां की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि इस मसले पर वह चीन की हिंसक कार्रवाई नहीं देखना चाहते हैं।

ट्रंप के हवाले से स्पुतनिक ने कहा, “मैं चिंतित हूं, मैं एक हिंसक तमाशा देखना नहीं चाहता।” ट्रंप  यह दावा करते रहे हैं कि चीनी सरकार जून की शुरुआत से ही हांगकांग की सीमा पर सैनिकों को स्थानांतरित कर रही है।

भले ही प्रत्यर्पण बिल को स्थानीय अधिकारियों द्वारा निलंबित कर दिया गया हो, लेकिन विरोध जारी है। प्रदर्शनकारी, क्रूरता और हिंसक कार्रवाई के लिए पुलिस के खिलाफ जांच की मांग कर रहे हैं। आंदोलन की शुरुआत से ही प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई झड़पें हुई हैं।

ट्रंप ने मानवीय समाधान की अपील की

हांगकांग के मुद्दे को हल करने के लिए बुधवार को ट्रंप ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक ‘व्यक्तिगत बैठक’ का भी सुझाव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि शी हांगकांग के गतिरोध को ‘जल्दी और मानवीय रूप से हल कर सकते हैं’।

ट्रंप ने कहा कि मैं चीन के राष्ट्रपति शी को अच्छी तरह से जानता हूं। वह एक महान नेता हैं, जो अपने लोगों का बहुत सम्मान करते हैं। वह एक अच्छे इंसान हैं।” मुझे जरा भी संदेह नहीं है कि अगर राष्ट्रपति शी जिनपिंग जल्दी और मानवीय रूप से हांगकांग समस्या को हल करना चाहते हैं, तो वह कर सकते हैं। 

क्यों हो रहा है प्रदर्शन, क्या है आंदोलनों का इतिहास

हांगकांग में जो प्रदर्शन चल रहा है, उसके पीछे चीनी सरकार का एक कानून है, जिसने एक बार फिर हांगकांग में रह रहे लोकतंत्र समर्थक लोगों को चीन के खिलाफ आवाज उठाने का मौका दिया। दरअसल, यहां का प्रशासन एक कानून लेकर आया है जिसके अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति चीन में कोई अपराध करता है तो उसे जांच के लिए प्रत्यर्पित किया जा सकेगा। इस बिल को हांगकांग की संसद से आसानी से पास करा लिया गया, क्योंकि वहां चीन समर्थक कई लोग मौजूद हैं। 

हांगकांग की प्रमुख नेता कैरी लैम की गिनती भी चीन के समर्थकों में होती है, उन्होंने खुद इस कानून का समर्थन किया है। कैरी लैम का मानना है कि समय के साथ कानून में बदलाव होने चाहिए और अपराधी किसी भी कीमत में छूटना नहीं चाहिए।

करीब 150 साल तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा हांगकांग 1997 में चीन का ‘विशेष प्रशासनिक क्षेत्र’ बन गया था। उस वक्त वैश्विक आर्थिक केंद्र बन चुके हांगकांग के लोगों को डर था कि बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी के संरक्षण में उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है।
 
पिछले कुछ सालों में कई मुद्दों को लेकर हांगकांग के लोग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे हैं, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (2003), अंब्रेला आंदोलन (2014), किताब विक्रेताओं पर निशाना (2015) शामिल रहे हैं। अब एक बार फिर प्रत्यर्पण बिल की वजह से ये गुस्सा फूट पड़ा।

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