(Pi Bureau)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के उस बयान पर पलटवार किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वायु प्रदूषण और कम होते जीवनकाल के बीच कोई संबंध नहीं है। डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों का कहना है, ‘हम चाहते हैं कि यह लोगों की मौत का कारण न बने लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा होता है।’ डब्ल्यूएचओ संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था है जो अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य पर काम करती है।
मंत्री ने शुक्रवार को संसद में जोर देकर कहा था कि ऐसा कोई भारतीय शोध नहीं है जिससे वायु प्रदूषण का लोगों के स्वास्थय पर पड़ने वाला असर साबित होता हो। जावड़ेकर ने सदन से कहा था कि लोगों में भय की मनोविकृति पैदा न करें। मैड्रिड में कॉप 25 की बैठक में डब्ल्यूएचओ के निदेशक (सार्वजनिक स्वास्थ्य) डॉक्टर मारिया नीरा ने कहा कि मजबूत वैज्ञानिक सबूत दिखाते हैं कि प्रदूषण के संपर्क में आने से लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
डॉक्टर नीरा ने कहा, ‘किस पद्धति का उपयोग किया जाता है या क्या अनुमान हैं, इसकी स्वतंत्र रूप से कार्रवाई करना जरूरी है क्योंकि भारत के कुछ शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है और यह निश्चित रूप से नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है। इसके सबूत मौजूद हैं और इसलिए हस्तक्षेप की जरूरत है। वहां विशेषज्ञता है और कार्रवाई की योजना भी। भारत सरकार के पास भारी मात्रा में विशेषज्ञता और दक्षता उपलब्ध है। ऐसे में हम उनसे आग्रह करते हैं कि वह वायु प्रदूषण के स्रोतों से निपटने और विषाक्त प्रदूषकों को कम करने में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे जिसके संपर्क में नागरिक हैं।’
मंत्री के बयान पर डब्ल्यूएचओ के क्लाइमेट लीड डियारमिड कैंपबेल-लेंड्रम ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘हमने दुनिया की हर आबादी से स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को दर्शाने वाले हजारों अध्ययनों का विश्लेषण किया है। हमें भारत सहित कहीं से भी अभी तक ऐसा कोई शोध नहीं मिला है जिससे यह पता चलता हो कि वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों से प्रतिरक्षा कैसे की जाती है।’ मौजूदा अध्ययनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए, जावड़ेकर ने यह भी कहा था कि वे पहली पीढ़ी के आंकड़ों पर आधारित नहीं थे।