मदरसों में झंडारोहण व राष्ट्रगान कार्यक्रम आयोजित करने के शासनादेश पर सियासत सरगर्म

(Pi Bureau)
लखनऊ। स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में झंडारोहण, राष्ट्रगान और अन्य कार्यक्रम आयोजित करने के उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश सरकार के शासनादेश के विरोध में सियासत सरगर्म हो गई है। कहा जा रहा है कि मदरसों में हर साल आजादी का जश्न मनाया जाता रहा है लेकिन इस बार सरकार की ओर से विशेषकर मदरसों के लिए आदेश जारी किया जाना समझ से परे है। मदरसा संचालकों का कहना है कि इस तरह का आदेश केवल मदरसों के लिए ही क्यों जारी हो रहा है।
गौरतलब है कि आगामी स्वतंत्रता दिवस पर उत्तर प्रदेष और मध्यप्रदेश सरकारों द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराए जाने और सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तस्वीरें उपलब्ध कराए जाने का षसनादेश जारी किया गया है। इस षासनादेष के बाद देष में सियासत का दौर शुरु हो गया है। कांग्रेस इसे अविश्वास की भावना से जोड़ रही है। भाजपा ने इसे निरंतर चलने वाली प्रक्रिया बताया है। मध्य प्रदेष कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने इसे एक तुगलकी फरमान की संज्ञा देते हुए कहा कि देश के सभी हिस्सों में तिरंगा फहरना चाहिए, लेकिन यह फोर्सफुली नहीं होना चाहिए और इसकी फोटो उपलब्ध कराना एक प्रकार से अविश्वास की भावना का द्योतक है।
मुस्लिम तंजीमों तथा धर्मगुरूओं का कहना है कि इस तरह का आदेष मुस्लिम समुदाय से देषभक्ति का सबूत मांगने जैसा है। आल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के जनरल सेकेट्री वहीदुल्लाह खां सईदी का कहना है कि मदरसों में न तिरंगा फहराने में कभी परहेज है और न ही राष्ट्रगान गाने से। विरोध तो इस बात का हो रहा है कि ये शासनादेश सरकार ने केवल मदरसों के लिए ही क्यों जारी किया। ऐसा करके मदरसों को संदेह के घेरे में लाया जा रहा है।
इसी तरह मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर सय्यद इमादउद्दीन हालांकि अब इसे एक नियमित आदेश बता कर बचाव की मुद्रा में आ गए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के ऐसे ही आदेश पर मचे बवाल के बाद अब मध्यप्रदेश में भी ऐसा आदेश सार्वजनिक होने से देश में एक बहस छिड़ गई है।

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