(Pi Bureau)
अमेरिकी सांसदों के द्विदलीय समूह ने यहां कांग्रेस के दोनों सदनों में पहली बार ऐसा विधेयक पेश किया है जो एच-1बी कामकाजी वीजा में प्रमुख सुधारों से जुड़ा हुआ है। यह विधेयक देश में पहले से मौजूद भारतीय छात्रों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है क्योंकि इसमें अमेरिका में शिक्षित मेधावी विदेशी युवाओं को प्राथमिकता देने की बात की गई है।
एच-1 बी वीजा गैर आव्रजक वीजा है जो अमेरिका में कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को ऐसे विशेषज्ञता वाले पेशों में रोजगार देने की इजाजत देता है जिनमें खास तरह की सैद्धांतिक एवं तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नौकरी पर रखने के लिए कंपनियां इस वीजा सुविधा पर निर्भर करती हैं।
एक अप्रैल को अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने कहा था कि प्रोद्यौगिकी क्षेत्र के विदेशी पेशेवरों के लिए आवश्यक एच-1बी वीजा की खातिर उसे पंजीयन के 2,75,000 अनुरोध प्राप्त हुए जिनमें से 67 फीसदी से अधिक भारत से थे।
अमेरिका में दो लाख से अधिक भारतीय छात्र हैं। प्रतिनिधिसभा व सीनेट में प्रस्तुत ‘एच-1बी एंड एल-1 वीजा रिफॉर्म एक्ट’ के तहत आव्रजन सेवा विभाग को पहली बार एच-1बी वीजा का आवंटन प्राथमिकता के आधार पर करना होगा। नई प्रणाली के तहत एच-1बी वीजा के लिए उन श्रेष्ठ व तीक्ष्ण छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्होंने अमेरिका में शिक्षा प्राप्त की है।
क्या है एच-1बी वीजा?
एच-1बी वीजा गैर-प्रवासी वीजा है। अमेरिकी कंपनियां इसके तहत दूसरे देशों के तकनीकी विशेषज्ञों को नियुक्त करती हैं। नियुक्ति के बाद सरकार से इन लोगों के लिए एच-1बी वीजा मांगा जाता है। अमेरिका की ज्यादातर आईटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति इसी वीजा के जरिए करती हैं। यूएससीआईएस के मुताबिक, एच-1बी वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय ही हैं।