(Pi Bureau)
एअर इंडिया का हैंडओवर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के बाद किसी भी दिन होने की उम्मीद है. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि एअर इंडिया को इस सप्ताह के अंत तक टाटा समूह को सौंप दिए जाने की संभावना है. आपको बता दें कि सरकार ने पिछले साल 8 अक्टूबर को एअर इंडिया को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी की सब्सिडियरी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को 18,000 करोड़ रुपये में बेच दिया था. उसके बाद, 11 अक्टूबर को टाटा ग्रुप को एक आशय पत्र (LoI) जारी किया गया था, जिसमें एयरलाइन में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की सरकार की इच्छा की पुष्टि की गई थी.
25 अक्टूबर को केंद्र ने इस सौदे के लिए शेयर खरीद समझौते (SPA) पर हस्ताक्षर किए. अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि इस सौदे को लेकर बाकी औपचारिकताएं अगले कुछ दिनों में पूरी होने की उम्मीद है और इस सप्ताह के अंत तक एयरलाइन को टाटा समूह को सौंप दिया जाएगा.
अधिकारियों ने कहा कि वे इस सप्ताह सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. एक दूसरे अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें 26 जनवरी को भी काम करना पड़ सकता है ताकि गुरुवार को हैंडओवर किया जा सके. हमने विनिवेश अभ्यास के लिए सभी समर्थन प्रदान करने में अब तक अच्छा काम किया है.
18,000 करोड़ रुपये में जीती बोली
टाटा ने 8 अक्टूबर को स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम द्वारा 15,100 करोड़ रुपये की पेशकश को पीछे छोड़ दिया. घाटे में चल रही एयरलाइन को खरीदने के लिए 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई. सरकार सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए 12,906 करोड़ रुपये रिजर्व प्राइस रखी थी.
टाटा के बेड़े में तीसरा एयरलाइन ब्रांड
टाटा के बेड़े में Air India तीसरा एयरलाइन ब्रांड होगा. इसमें एयरएशिया इंडिया और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड के साथ एक संयुक्त उद्यम विस्तारा (Vistara) है
आपको बता दें कि जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी. दूसरे विश्व युद्ध के वक्त विमान सेवाएं रोक दी गई थीं. जब फिर से विमान सेवाएं बहाल हुईं तो 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया. आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी भागीदारी सरकार ने ले ली थी. 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया. इस तरह टाटा ग्रुप ने एक बार फिर 68 साल बाद अपनी ही कंपनी को वापस पा लिया.