(Pi Bureau)
यूक्रेन मसले पर रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने वोटिंग करने से परहेज किया है। हालांकि 11 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था लेकिन रूस ने इस प्रस्ताव पर वीटो कर दिया था। भारत और चीन दोनों से वोट करने से दूरी बनाई है लेकिन दोनों देशों ने वोट न करने के पीछे अलग-अलग वजह बताई है। दोनों देशों ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए यूक्रेन का समर्थन किया है हालांकि चीन रूस कार्रवाई का बचाव करता नजर आया है।
चीन ने क्या कहा है?
चीनी राजदूत झांग जून ने कहा है कि हम मानते हैं कि एक देश की सुरक्षा दूसरों की सुरक्षा की कीमत पर नहीं हो सकती है। क्षेत्रीय सुरक्षा को सैन्य ब्लॉक्स को बढ़ाने या विस्तार करने पर भरोसा नहीं करना चाहिए। सभी देशों की वैध सुरक्षा चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए। नाटो के पूर्व की ओर विस्तार के लगातार पांच दौर की पृष्ठभूमि के खिलाफ, रूस की वैध सुरक्षा आकांक्षाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए और ठीक से संबोधित किया जाना चाहिए।
भारत का क्या है स्टैंड?
न्यूयॉर्क में स्थित एक भारतीय राजनयिक ने बताया है कि वोटिंग को लेकर चीन की व्याख्या रूस का समर्थन करती नजर आती है जबकि भारत की व्याखा ऑब्जेक्टिव है और यह कहती है कि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन था। साथ ही हमने कूटनीति और बातचीत के लिए जगह बनाई है। हमारा वोट इस हालात के बावजूद पार्टियों तक पहुंचने और इसे जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने का विकल्प रखता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात का स्पष्टीकरण भी भारतीय व्याख्या के करीब रहा।
क्या है भारत की रणनीति?
वोटिंग से दूर रहने के पीछे भारत की रणनीति का भी हिस्सा है। रूस और अमेरिका से बेहतर संबंध को देखते हुए भारत चाहे तो मॉस्को और वाशिंगटन और बातचीत के लिए एक जगह बैठा सकता है। इसके साथ ही भारत सीधे-सीधे किसी एक पक्ष को यूक्रेन मसले पर सपोर्ट करने से बचता रहा है क्योंकि भारत के दोनों पक्षों से बेहतर संबंध हैं।
यूक्रेन ने कई बार भारत से अपील की है कि वह रूस से बातचीत कर रूसी आक्रमण को रोकने की दिशा में काम करे। पीएम नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के दौरान रूस से कूटनीति और बातचीत के माध्यम से स्थिति को हल करने की अपील की है।