(Pi Bureau)दिल्ली। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले पार्टी में सुलह के लिए मुलायम सिंह द्वारा पेश फॉर्मूला फेल होता दिख रहा है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह चाहते थे कि राष्ट्रीय टीम में शिवपाल को महासचिव के रूप में समायोजित किया जाए। शिवपाल ने अपने तरफ से भी सकारात्मक रुख दिखाया था।
उन्होंने राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले और अध्यक्ष चुने जाने के बाद अखिलेश को बधाई भी दी थी। हालांकि सम्मेलन के बाद दोनों के बीच मुलाकात नहीं होने से माना जा रहा था कि खटास अभी दूर नहीं हुई है।
अब सपा में अधिकृत तौर पर मुलायम के पास नहीं बचा कोई ओहदा मुलायम के पास सपा में कोई ओहदा
मुलायम सिंह को भले ही सपा का संरक्षक कहा जाता हो लेकिन पार्टी में अधिकृत तौर पर उनके पास कोई ओहदा नहीं है। संरक्षक पद पार्टी के संविधान में नहीं है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा में भी उनके नाम का उल्लेख नहीं है।
सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 55 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित कर दी लेकिन इसमें शिवपाल यादव को जगह नहीं मिल पाई है। किरनमय नंदा को फिर से उपाध्यक्ष और संजय सेठ को कोषाध्यक्ष बनाया गया है।
रामगोपाल यादव को प्रोन्नत करके प्रमुख महासचिव का दायित्व सौंपा गया है। आजम खां, नरेश अग्रवाल, रवि प्रकाश वर्मा, सुरेन्द्र नागर और इंद्रजीत सरोज समेत 10 महासचिव बनाए गए हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी समेत 10 नेताओं को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी मिली है।
अखिलेश ने नए संविधान के अनुसार एक उपाध्यक्ष, एक प्रमुख महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, 10 महासचिव, 10 सचिव बनाए हैं। कार्यकारिणी में 25 सदस्य और 6 विशेष आमंत्रित सदस्य नामित किए हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि अखिलेश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व अपने चाचा शिवपाल को राष्ट्रीय टीम में शामिल करेंगे। उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाने की अटकलें थीं लेकिन सभी 10 महासचिवों की नियुक्ति करके अखिलेश ने इस संभावना को समाप्त कर दिया।