इमरान खान को बड़ा झटका:: पाकिस्तान में 3 महीने के अंदर चुनाव कराने में आएंगी कई दिक्कतें !!!

(Pi Bureau)

पाकिस्तान में सियासी ड्रामा जारी है. विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो चुका है. इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है. पाकिस्तान सचिवालय ने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया है. और तो और पाकिस्तान सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ भी इस्तीफा दे चुके हैं. ऐसे में इमरान खान की पार्टी 3 महीने के अंदर चुनाव कराना चाहती है. लेकिन, लगता है इमरान के इस अरमान पर भी पानी फिरने वाला है. दरअसल, चुनाव आयोग के अधिकारी ने 3 महीने के अंदर चुनाव कराने को लेकर ऐसी कई दिक्कतें गिनाई हैं, जिससे जल्द चुनाव कराना संभव नहीं है.

पाकिस्तानी ने चुनाव आयोग से जुड़े एक सीनियर अधिकारी के हवाले से बताया कि अगस्त 2023 में आम चुनाव होते, लेकिन राजनीतिक संकट की वजह से सदन डेढ़ साल पहले ही भंग हो गया है. दोबारा चुनाव कराने के लिए कम से कम 6 महीने का वक्त लगेगा. चुनाव आयोग का कहना है कि इतने कम समय में चुनाव कराए जाना मुश्किल है. इसमें न सिर्फ संवैधानिक चुनौतियां हैं, बल्कि चुनावी सामग्री का इंतजाम करना और परिसीमन की दिक्कतें हैं.

नए सिरे से निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन सबसे बड़ी चुनौती

डॉन को चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि नए सिरे से निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना है. खासतौर से खैबर-पख्तूनख्वा में, जहां सीटों की संख्या बढ़ाई गई है. यहां इलेक्टोरल रोल तैयार करना बड़ी चुनौती है. परिसीमन के लिए एक महीना आपत्तियों के लिए चाहिए और उसके बाद एक महीना उन आपत्तियों को ठीक कराने में लग जाएगा.

चुनाव सामग्री की खरीद और बीडिंग में लगेगा वक्त

इसके बाद चुनाव सामग्री की खरीद, बैलेट पेपर की व्यवस्था और चुनाव कर्मियों की नियुक्ति और ट्रेनिंग भी बड़ी चुनौती है. कानूनन वॉटर मार्क वाले बैलेट पेपर का इस्तेमाल होना है, जो बाहर से इम्पोर्ट किए जाते हैं. इसके लिए बीडिंग होगी, जिसमें अच्छा-खासा वक्त लगता है.

4 महीने पहले चुनाव तारीखों का ऐलान करना जरूरी

कानूनी अड़चनों के बारे में अधिकारी ने ‘डॉन’ को बताया कि इलेक्शन एक्ट की धारा 14 के तहत चुनाव आयोग को 4 महीने पहले चुनाव तारीखों का ऐलान करना जरूरी है. ऐसा नहीं किया गया. इसलिए दिक्कतें ज्यादा बढ़ेंगी.

पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति रुकी

इसके अलावा पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई है. संविधान में आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करती है. केयरटेकर पीएम को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है.

1 लाख चुनाव कर्मियों की नियुक्ति और ट्रेनिंग बाकी

करीब 1 लाख चुनाव कर्मियों की नियुक्ति करनी होगी और उन्हें ट्रेनिंग देनी होगी. 2018 के आम चुनाव के बाद 1.5 करोड़ नए वोटर्स जुड़े हैं, लिहाजा इस बार 10 हजार पोलिंग स्टेशन और बढ़ाने होंगे.

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