(Pi Bureau)
पिछले दिनों खबर आई थी कि घरेलू बाजार में ब्रेड, बिस्कुट, केक जैसी आम उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में उछाल आने वाला है. अब सरकार के एक फैसले से यह दबाव खत्म होने की उम्मीद जगी है.
दरअसल, ग्लोबल मार्केट में गेहूं की कीमत ऐतिहासिक रूप से बढ़ती जा रही थी और भारत जमकर निर्यात कर इस अवसर का लाभ उठाना चाह रहा था. ऐसे में घरेलू बाजार में गेहूं की जबरदस्त खरीद बढ़ने से इसकी कीमतों में भी असामान्य रूप से उछाल आना शुरू हो गया था. इसका सीधा असर आटे के साथ गेहूं से बनने वाले अन्य उत्पादों जैसे बिस्कुट, केक, ब्रेड जैसी आम उपभोक्ता वस्तुओं पर भी पड़ता. लेकिन, सरकार ने गेहूं निर्यात पर रोक लगाकर इस संभावित महंगाई को भी लगभग टाल दिया है.
दो सप्ताह में घट जाएंगे घरेलू दाम
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहर कि पिछले एक साल में गेहूं और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों में 19 फीसदी तक वृद्धि हुई है. लेकिन, गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले से एक-दो सप्ताह में घरेलू कीमतों में कमी आने की उम्मीद है. भारत में गेहूं के उत्पादन में मामूली गिरावट के साथ ही वैश्विक आपूर्ति कम होने से भी इसकी कीमतों में वृद्धि हुई है. यही वजह है कि पिछले महीने गेहूं और आटे की घरेलू कीमतें भी बढ़ गईं.
पीडीएस पर कोई असर नहीं
खाद्य सचिव ने कहा कि भारत में गेहूं के उत्पादन में संभावित गिरावट और सरकारी खरीद में कमी आने का गेहूं की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर असर पड़ने की आशंका नहीं है. पीडीएस सुचारू रूप से चलती रहेगी. इससे पहले वाणिज्य मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शुक्रवार रात को गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी.
सिर्फ सेंटिमेंट से तय हो रही थी कीमत
खाद्य सचिव ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध की घोषणा के बाद कहा, “वैश्विक मांग बढ़ रही थी और विभिन्न देश अपने निर्यात पर प्रतिबंध लगा रहे थे. ग्लोबल मार्केट में सिर्फ सेंटिमेंट के जरिये ही कीमतें तय की जाने लगी थीं. ऐसे में निर्यात पर रोक लगाना जरूरी हो गया था और हमें पूरा विश्वास है कि प्रतिबंध के बाद धारणााएं भी बदलेंगी, जो इसकी कीमतों को जल्द नीचे लाने में सहायक होंगी.”
दूसरे देशों ने चढ़ा रखा है भाव
सुधांशु पांडेय ने कहा, “इन दिनों कई क्षेत्रों में वैश्विक कीमतों के साथ-साथ मुद्रास्फीति का भी आयात होता है. गेहूं के मामले में भी यही हो रहा था. ग्लोबल लेवल पर गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं. दूसरे देशों का गेहूं 420-480 डॉलर प्रति टन के ऊंचे भाव पर बिक रहा था. ऐसे में घरेलू कीमतों पर नियंत्रण रखने और भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए हमें निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा. अब हम ये अंदाजा तो नहीं लगा सकते कि कीमतें कितनी नीचे आएंगी, लेकिन जल्द इसके दाम नीचे जरूर आएंगे.”