कहते हैं कि अर्बुन नाग नंदी वद्रधन को उड़ाकर ब्रह्म खाई के पास वशिष्ठ आश्रम लाया था। आश्रम में नंदी वद्रधन ने वरदान मांगा कि उसके ऊपर सप्त ऋषियों का आश्रम होना चाहिए। वहीं पहाड़ सबसे सुंदर और वनस्पतियों वाला होना चाहिए। वशिष्ठ ने वरदान दिया। इसी प्रकार अर्बुद नाग ने वर मांगा कि पर्वत का नामकरण उसके नाम से हो। वरदान मिलते ही नंदी वद्रधन खाई में उतरा तो वो धंसता ही गया। केवल नंदी वद्रधन की नाक और ऊपर का हिस्सा जमीन से ऊपर रहा, जो अब आबू पर्वत है।