…तो इस घटना के बाद मुंबई जाने के लिए मजबूर हुए थे राजू श्रीवास्तव !!!

(Pi Bureau)

देश के मशहूर स्टैंडअप कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का आज दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। राजू श्रीवास्तव ने 10 बजकर 20 मिनट पर अंतिम सांस ली। राजू श्रीवास्तव स्टैंड अप कॉमेडी के जरिए लोगों को हंसाते रहे हैं। कई टीवी और स्टेज शो में राजू श्रीवास्तव ने काम किया था। एक कॉमेडियन, टीवी सेलिब्रिटी होने के साथ ही राजू श्रीवास्तव भाजपा के नेता भी थे। कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का दिल्ली एम्स में 41 दिन से अस्पताल में भर्ती थे। 10 अगस्त को जिम में वर्कआउट दौरान राजू को दिल का दौरा पड़ा था। राजू श्रीवास्तव के निधन के बाद से ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। हर कोई नम आंखों से राजू को श्रद्धांजलि दे रहा है।

आइए जानते हैं वो किस्सा जिसने राजू को मुंबई जाने के लिए मजबूर कर दिया।

अपने हुनर से लोगों को हंसा हंसा कर लोटपोट कर देने वाले राजू श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के रहने वाले थे। राजू श्रीवास्तव का मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म हुआ था। मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव के गजोधर भइया के किरदार को कोई भुला नहीं सकता है। द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज में इस किरदार के माध्यम से उन्होंने सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ी और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। खास बात यह है कि गजोधर भइया कोई काल्पनिक किरदार नहीं हैं, वह राजू के उन्नाव स्थित ममान में रहते थे। राजू के ददिहाल उन्नाव के बीघापुर ब्लॉक के मगरायर गांव में रहने वाला चाचा वेद विक्रम श्रीवास्तव बताते हैं कि बड़े भाई (राजू के पिता) रमेश चंद्र श्रीवास्तव हास्य रस के कवि थे।

अवधी और बैसवारी बोली में काव्य पाठ करने के कारण उन्हें बलई काका के नाम से जाना जाता था। बचपन से राजू उनकी कविताओं को बड़े गौर से सुनता था। राजू का ननिहाल यहां से तीन किमी दूर बेहटा सशान में था। वहां पर एक बुजुर्ग गजोधर रहते थे। वह रुक-रुक कर बोलते थे, उन्हीं का किरदार राजू ने अपनाया और उस किरदार को लोगों ने भी बहुत पसंद किया।

गांव से ही मुंबई की ओर निकले थे राजू

राजू के ददिहाल उन्नाव के बीघापुर ब्लॉक के मगरायर गांव में रहने वाला चाचा वेद विक्रम श्रीवास्तव ने बताया कि राजू पिता के साथ किदवई नगर में रहते थे। राजू की मंडली नाट्य मंचन आदि में भाग लेती थी पर उनके पिता को यह पसंद नहीं था।

एक दिन राजू का रात में कॉमेडी का कोई कार्यक्रम था तो वह किसी को बिना बताए घर के बाहर लगे नीम के पेड़ के सहारे उतरे और कार्यक्रम में हिस्सा लेने चले गए। इस पर पिता और मां सरस्वती ने उसको बहुत फटकार लगाई। इसके बाद राजू मगरायर आ गए। तीन महीने यहां रहे और यहीं से काम के सिलसिले में मुंबई निकल गए।

1983 में पहुंचे थे मुंबई, 2005 में मिली थी पहचान

बचपन से ही मिमिक्री और कॉमेडियन का सपना पाले राजू श्रीवास्तव 1983 में फिल्म नगरी मुंबई पहुंचे थे। कई वर्षों के संघर्ष के बाद सन 2005 में उन्हें पहचान तब मिली, जब दि ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज में प्रतिभाग करने का मौका मिला। स्टार वन पर प्रसारित होने वाले इस स्टैंडअप कॉमेडी शो में वे सेकंड रनरअप रहे थे।

इससे पहले भी उन्होंने फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार अदा किए थे, लेकिन जो नाम उन्होंने लॉफ्टर चैलेंज में आने के बाद कमाया, वह लोगों की जुबान पर छा गया था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों और सीरियल में काम किया। इसी शो के बाद उन्हें किंग ऑफ कॉमेडी का नाम मिला था।

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