(Pi Bureau) पटना। बिहार सरकार ने शिक्षकों के लिए अजीबीगरीब नया फरमान जारी किया है। सरकार ने हाई स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों को आदेश जारी करते हुए कहा कि अब वे खुले में शौच करने वालों को रोकने के साथ साथ उनकी निगरानी भी करेंगे। सरकार के बोर्ड ऑफ एजुकेशन की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि शिक्षकों को सुबह और शाम के वक्त ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच के लिए जाने वाले लोगों को रोकना होगा।
मतलब सुबह और शाम को टीचर्स खुले में शौच जाने वालों की निगरानी करेंगे और उनकी फोटोग्राफी भी करेंगे। स्कूलों के प्रिंसिपल को इस काम के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है। वहीं सरकार के इस आदंश के बाद टीचरों में रोष है कि वह अगर इस तरह निगरानी में लगे रहेंगे तो फिर बच्चों को पढ़ाएंगे कब। टीचर एसोसिएशन ने बीडीओ के इस फरमान पर कहा कि यह टीचरों का अपमान है।
टीचरों का कहना है कि प्रशासन के इस तरह के फरमान टीचरों की गरिमा को कम करने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा को भी खतरा रहता है। साथ ही टीचरों ने कहा कि सरकार ने उन्हें खुले में शौच करने वालों की फोटो खींचने को कहा है लेकिन वे महिलाओं और लड़कियों की फोटो कैसे खींचेंगे। टीचरों को सुबह 6-7 बजे और शाम को 5-6 बजे खेतों में जाकर यह निगरानी करनी है। बीएमएसएस के महासचिव तथा पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उस फरमान को वापस लेने को कहा है।
टीचरों के विरोध पर राज्य के शिक्षा मंत्री के.एन. प्रसाद वर्मा ने कहा कि इस फैसले पर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि समाज में टीचरों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और अगर टीचर लोगों को जागरूक करेंगे तो उनकी बात का अमल जल्द होगा। प्रशासन का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है। यह फैसला भी उसी के तहत लिया गया है।