(Pi Bureau)
नगर निकाय चुनाव के दौरान मतदाता सूची से मतदाताओं के नाम काटे जाने के आरोपों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने इस समस्या को हमेशा के लिए दूर करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत आयोग अन्य कई राज्यों की तरह यूपी में भी लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची से नगर निकाय की मतदाता सूची को जोड़ेगा। इसी मतदाता सूची पर किसी भी चुनाव से पहले काम होगा। इस सूची में हर वोटर की फोटो भी होगी ताकि गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न हो।
आयुक्त ने कहा कि नगर निकाय मतदाता सूची को लोकसभा चुनाव की सूची से जोड़ने का काम बाराबंकी से करने का प्रयास किया गया था, पर उस प्रयोग पर काम ही शुरू नहीं हो पाया। इसमें कुछ व्यावहारिक दिक्कतें आईं थीं। सवाल उठा कि यदि नई सूची में खामियां निकली तो जिम्मेदारी किसकी होगी। वहीं, भारत निर्वाचन आयोग ने इसकी जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया। आयुक्त ने कहा कि अब हम लोकसभा चुनाव वाली सूची को आधार बनाकर अपनी फोटो युक्त निर्वाचक नामावली तैयार करेंगे। इसकी शुरुआत लखनऊ जिले से की जाएगी। इसके बाद हर जिले में सूची बनाएंगे।
मालूम हो कि अभी भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची के आधार पर लोकसभा का चुनाव होता है। उसी को आधार बनाकर विधानसभा चुनाव की सूची भी बनती है। जबकि नगर निकाय की मतदाता सूची इनसे बिल्कुल अलग है। इसमें मतदाताओं की संख्या ज्यादा होने के साथ ही यह गैर फोटो युक्त है।
एजेंसी करेगी काम: आयुक्त ने बताया कि इस काम के लिए एजेंसी को जिम्मेदारी दी जा रही है। इसको लेकर एक बैठक भी हो चुकी है। सूची का सारा काम एजेंसी करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि निकाय चुनाव को देखते हुए छह माह पहले वर्तमान मतदाता सूची राजनीतिक दलों को दे दी गई थी। यदि लोग या दल तभी शिकायत करते तो खामियों को समय से दूर कर दिया जाता।
बिल्कुल शांति से हुआ चुनाव, आचार संहिता खत्म
आयुक्त ने कहा कि निकाय चुनाव बिल्कुल शांतिपूर्वक हुआ। कहीं से कोई शिकायत नहीं आई। चुनाव से पहले सपा, आम आदमी पार्टी आदि का प्रतिनिधिमंडल मिला था। उनकी मांगें पहले ही पूरी कर दी गईं थीं। बहराइच से एक एसआई को शिकायत पर हटाया गया था। मतदान में जहां मतपेटियों में पानी डाला वहां जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अब चुनाव का सारा काम पूरा हो चुका है। ऐसे आचार संहिता खत्म कर दी गई है।
मतदान व मतगणना में कोई अंतर नहीं
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि गोरखपुर में जब मतदान हुआ तब और जब वोटों की गिनती हुई तो उसमें अंतर पाया गया। इस पर आयुक्त ने कहा कि ऐसा नहीं है। कई बार टेबुलेशन में कुछ चूक हो जाती है पर अंतिम परिणाम एक ही रहता है। कहीं भी इस तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। यह केवल चर्चा ही रही।
एक ही मतदाता सूची होने से कम हो सकेंगी गड़बड़ियां
अगर सभी चुनावों में एक ही मतदाता सूची का इस्तेमाल होगा तो इसका लाभ वोटरों को ज्यादा मिलेगा। गड़बड़ी कम होगी और उस पर फोटो होने के कारण मत का दुरुपयोग भी नहीं हो सकेगा। वास्तविक मतदाता ही अपना वोट डाल सकेगा। अब राज्य निर्वाचन आयोग भी इस दिशा में काम करने की तैयारी में है, जिसकी मांग काफी समय से की जा रही है। कई राज्य इस पर काम कर रहे हैं, पर यूपी में अभी इस पर अमल नहीं हो पाया है।
एक ही मतदाता सूची का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि वास्तविक मतदाता ही अपना वोट डाल सकेगा, क्योंकि उसके फोटो का उसके किसी भी सरकारी पहचान पत्र से मिलान किया जाएगा। मसलन, विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में वह अपने गांव में वोट डालता है तो उसका नाम शहर में निगम की सूची में भी है। इन्हें अलग-अलग करने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसी तरह से पालिका और पंचायतों में भी गड़बड़ी की आशंका ज्यादा होती है। जब एक ही वोटर लिस्ट होगी तो यह गड़बड़ी स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। विभिन्न राजनीतिक दल भी इसकी मांग करते रहे हैं।
सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि सपा की यह मांग काफी लंबे समय से है कि पूरे देश में एक ही वोटर लिस्ट हो। इस बाबत वह भारत सरकार और भारत निर्वाचन आयोग से भी मांग कर चुके हैं। उधर, रालोद प्रवक्ता अनिल दुबे कहते हैं कि वोटर लिस्ट तो एक ही होनी चाहिए, इससे गड़बड़ी कम होगी। इस निकाय चुनाव में लाखों लोगों के वोट कटे। यदि एक लिस्ट बने तो इस स्थिति से बचा जा सकेगा। लेकिन इसमें निकाय को अपना पुनरीक्षण अभियान उसी तरह से चलाना होगा, जिस तरह से साल में चार बार भारत निर्वाचन आयोग चलाता है, साथ ही जवाबदेही भी राज्य की होगी।