SCO में बोली सुषमा स्वराज – आतंकवाद को किसी धर्म या समुदाय से न जोड़ा जायें

(Pi Bureau) नई दिल्ली। रूस में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) कार्यक्रम में भाग लेनी पहुंची भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आतंकवाद पर बात करते हुए कहा कि आपस में बेहतर तालमेल से सदस्य देश इससे निपट सकते हैं।  साथ ही सुषमा ने यह भी कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता और ना ही जोड़ा जाना चाहिए।  उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस समस्या से लड़ने के लिए सहयोग बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा कि यह पूरी मानवता के खिलाफ अपराध है।

चीन के प्रभुत्व वाले सुरक्षा समूह शंघाई सहयोग संगठन’ (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने यहां आईं सुषमा ने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी प्रकारों की कड़ी निंदा करता है।  भारत पहली बार स्थाई सदस्य के रूप में एससीओ सम्मेलन में भाग ले रहा है।  जून में भारत और पाकिस्तान एससीओ के पूर्णकालिक सदस्य बन गये थे।

सुषमा ने कहा, एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने पर पाकिस्तान को मेरी ओर से बधाई। ’’ उन्होंने कहा, इस बैठक का भारत के लिए विशेष महत्व है क्योंकि भारत के एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद यह परिषद की पहली बैठक है।  इसके साथ यह भी मायने रखता है कि हमारे पुराने और सबसे विश्वस्त सहयोगी मित्र रूस द्वारा इसकी मेजबानी की जा रही है।

मंत्री ने कहा, मैं इस बैठक की सफलता के लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं।  सुषमा ने कहा कि किसी भी तरह के आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता।

उन्होंने कहा, हम व्यापक, सहयोगात्मक और सतत सुरक्षा के लिहाज से एससीओ की रूपरेखा के तहत सहयोग को सतत मजबूत करने के लिए और साथ में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ’’ सुषमा ने एससीओ के सदस्य देशों की सरकारों के प्रमुखों की परिषद की 16वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा, हमें दोहराना होगा कि आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह के साथ नहीं जोड़ा जा सकता और ना ही जोड़ा जाना चाहिए।  यह पूरी मानवता के खिलाफ अपराध है। ’’ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी भी सम्मेलन में मौजूद थे।

उन्होंने कहा कि भारत सभी देशों से अनुरोध करता है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए खुफिया सूचना साझा करने, कानून प्रवर्तन, सर्वश्रेष्ठ तरीकों और प्रौद्योगिकियों के विकास, परस्पर कानूनी सहायता, प्रत्यर्पण बंदोबस्तों में सहयोग बढ़ाया जाए।  मंत्री ने कहा कि एससीओ के देशों के साथ संपर्क भारत की प्राथमिकता है।

सुषमा ने कहा, हम अपने समाजों के बीच सहयोग और विश्वास के लिए रास्ता बनाने के लिहाज से संपर्क चाहते हैं।  इसके लिए संप्रभुता का सम्मान जरूरी है।  समावेशीकरण, पारदर्शिता और निरंतरता अनिवार्य हैं। ’’ सालाना एससीओ सम्मेलन रूस के शहर सोची में 30 नवंबर और एक दिसंबर को आयोजित किया जा रहा है।  सुषमा ने अर्थव्यवस्था पर कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां बनी हुई हैं।

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