आधार लिंकिंग को लेकर इन 5 भ्रमों से रहें दूर, नहीं तो आपको…

(Pi Bureau) नई दिल्ली। केंद्र सरकार आधार को बैंक खातों से लिंक करने की तारीख को 31 मार्च तक के लिए बढ़ा सकती है। मगर, इससे बचने का आपके पास कोई तरीका नहीं है। ज्यादातर लोग आधार के डाटा सिक्योरिटी सिस्टम को लेकर भ्रमित और सशंकित हैं। इसके अलावा आधार को लेकर फैले भ्रम और आधे अधूरे सच ने स्थितियों को और बिगाड़ दिया है।

1: आधार का डाटाबेस हैक किया जा सकता है और महत्वपूर्ण जानकारी लीक हो सकती है

कुछ हफ्ते पहले आरटीआई में पूछे गए एक सवाल के जवाब में UIDAI ने कहा था कि 200 केंद्रीय और राज्य सरकारों की वेबसाइटों ने आधार लाभार्थियों का विवरण सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया है। हालांकि, यूआईडीएआई ने कहा कि डेटा रिसाव की रिपोर्ट झूठी हैं। आधार-जारी करने वाली एजेंसी के मुताबिक, कुछ केंद्रीय और राज्य सरकार की एजेंसियां ​​आरटीआई कानून के तहत लाभार्थियों के विवरण को एक सर्च मेन्यू के माध्यम से लगाया है।

यूआईडीएआई का कहना है कि आधार संख्या और बैंक खाते की जानकारी प्रकाशित नहीं हों, इसके लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं। यूआईडीएआई का कहना है कि बॉयोमीट्रिक्स कभी प्रदर्शित नहीं किया गया था और यह कहना गलत होगा कि आधार का उल्लंघन हुआ था।

2: आधार का इस्तेमाल मुझे ट्रैक करने के लिए किया जाएगा

यूआईडीएआई के अनुसार, आधार अधिनियम बताता है कि कोई भी एजेंसी आधार के माध्यम से किसी व्यक्ति को ट्रैक करने में सक्षम नहीं होगी। ऐसा करने का प्रयास आधार अधिनियम के तहत एक अपराध है।

3: जिन लोगों के पास आधार नहीं हैं, उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी और लाभों से वंचित किया जा रहा है

आधार अधिनियम की धारा 7 में यह स्पष्ट किया गया है कि सरकार विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के लिए लाभार्थियों को अपने आधार नंबर देने के लिए कह सकती है। यदि लाभार्थी के पास आधार संख्या नहीं है, तो उसे आधार का नामांकन करना जरूरी होगा। हालांकि, जब तक व्यक्ति को आधार संख्या नहीं मिलती, तब तक उसे सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभों से वंचित नहीं किया जाएगा।

4: आधार डेटाबेस का सत्यापन कमजोर है

नामांकन में शामिल एजेंसियों को यूआईडीएआई द्वारा सूचीबद्ध किया गया है। इसके अलावा, आधार इनरोलमेंट कस्टमाइजेड सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाता है, जिसे यूआईडीएआई द्वारा विकसित और मुहैया कराया जाता है। नामांकन के समय लिया डेटा एन्क्रिप्ट किया जाता है और यूआईडीएआई सर्वर पर उसे कोई नहीं पढ़ सकता है।

सिम लेने के लिए एक टेलीकॉम कंपनी को मेरे फिंगरप्रिंट दिए और मुझे डर है कि भविष्य में कंपनी द्वारा मेरे बॉयोमीट्रिक्स का उपयोग कर सकती है

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