(Pi Bureau)
प्रदेश में बिजली कटौती बरकरार है। ग्रामीण इलाके में शेड्यूल से पांच घंटे कम बिजली आपूर्ति की जा रही है, जबकि दो से तीन घंटे तक लोकल फाल्ट से भी कटौती हो रही है। ऐसे में उपभोक्ता परेशान हैं। 13 अक्तूबर के बाद दो यूनिटों में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इससे करीब 1089 मेगावाट बिजली मिलने लगेगी। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने निर्देश दिया है कि18 अक्तूबर तक बिजली आपूर्ति व्यवस्था पटरी पर लाई जाए और उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली दी जाए।
प्रदेश में छह उत्पादन इकाइयां वार्षिक मरम्मत के लिए बंद हुई है। इससे 1526 मेगावाट उत्पादन कम हुआ है। ये इकाइयां 21 अक्तूबर से एक दिसंबर के बीच शुरू होंगी। इसी तरह पिछले दिनों छह अन्य इकाइयां भी तकनीकी कारणों से बंद हो गई। काफी मशक्कत के बाद चार इकाइयों से उत्पादन शुरू हुआ, लेकिन बारा और टांडा की एक-एक इकाई बंद होने से प्रदेश को 1089 यूनिट कम बिजली मिल रही है।
इस तरह कुल 2615 यूनिट बिजली उत्पादन कम हो गया है। ऐसे में ग्रामीण इकाके में सर्वाधिक पांच घंटे की कटौती की जा रही है। तहसील मुख्यालयों पर 21 के बजाय 18 घंटे, बुंदेलखंड में 20 के बजाय 16.25 घंटे ही बिजली मिल पा रहा है। बिजली कटौती होने से ग्रामीण इलाके में चलने वाले लघु उद्योग ठप हो गए हैं। कई स्थानों पर पानी का संकट खड़ा हो गया है। बुंदेलखंड के मेडिकल एवं इंजीनिरिंग कॉलेजों में जलापूर्ति पूरी तरह से लड़खड़ा गई है।
उपभोक्ता बोले, बमुश्किल से मिल रही 12 घंटे बिजली
प्रदेश में ऊर्जा प्रणाली की दैनिक रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्र में सिर्फ पांच घंटे की कटौती की बात कही जा रही है, लेकिन उपभोक्ताओं का दावा है कि उन्हें बमुश्किल 12 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। यह खुलासा हुआ उपभोक्ता परिषद की ओर से बुधवार को आयोजित वेबिनार में। विभिन्न जिलों से जुड़े उपभोक्ताओं ने बताया कि चार दिनों से निरंतर बिजली संकट बना हुआ है।
ऐसे में सब्जी की खेती सूख रही है। पेयजल और जानवरों के लिए पानी का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। प्रतापगढ़, आगरा, अंबेडकरनगर, प्रयागराज, जौनपुर, गाजियाबाद, लखनऊ सहित हर जिले से जुड़़े उपभोक्ताओं ने बताया कि जल्द से जल्द इंतजाम नहीं किया गया तो उन्हें जनरेटर सहित अन्य इंतजाम करने पड़ेंगे। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उपभोक्ताओँ को भरोसा दिया कि पावर कॉरपोरेशन इंतजाम में लगा है। उपभोक्ताओं की बात से प्रबंधन को अवगत कराया जाएगा।
18 तक हर हाल में दुरुस्त करें व्यवस्था- शर्मा
नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि 18 अक्तूबर तक हर हाल में बिजली व्यवस्था में सुधार किया जाए। बंद यूनिटों को पूरी क्षमता से चलाकर उपभोक्ताओं को बिजल उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि गर्मी बढ़़ने, तीस्ता बेसिन सिक्किम में आई बाढ़, केंद्र से बिजली उपलब्धता कम होने, राज्य विद्युत उत्पादन निगम की कई यूनिटों के वार्षिक मरम्मत की वजह से बंद होने की वजह से उपलब्धता और खपत में करीब तीन हजार मेगावाट का अंतर आ गया है।
उन्होंने दावा किया कि आपूर्ति व्यवस्था में सुधार हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में 16 घंटे बिजली मिलने लगेगी। उन्होंने बताया कि एक से 15 अक्टूबर तक वर्ष 2022 में औसतन मांग 15133 मेगावाट थी। इस वर्ष यह बढ़कर 20042 मेगावाट हो गई है। बुधवार को पीक आवर में 21668 मेगावाट की मांग रही और उपलब्धता 18995 मेगावाट रही। इसी तरह 12 को 19472 मेगावाट, 13 को 19971 मेगावाट, 14 को 20056 मेगावाट, 15 को 20108 मेगावाट, 16 को 20190 मेगावाट, 17 को 20210 मेगावाट और 18 को 20220 तक उत्पादन पहुंच जाएगा। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि बाढ़ के कारण तीस्ता जल विद्युत परियोजना (1200 मेगावाट), एनएचपीसी तीस्ता-वी की 510 मेगावाट और दिक्चू की 100 मेगावाट की उत्पादन इकाई ठप है।
बुंदेलखंड में सूख रही हैं फसलें
गरौठा से भाजपा विधायक जवाहर सिंह राजपूत ने बिजली कटौती से फसलें सूखने और पानी संकट होने के बारे में पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल और एसीएस महेश गुप्ता को पत्र भेजा है। इसमें बताया कि किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। मूंगफली, धान की फसल सूख रही है। रबी की फसल का पलेवा नहीं लग पा रही है। ऐसे में बुंदेलखंड के किसानों को 24 घंटे बिजली दी जाए। किसानों के अलग से किसान फिडर बनाए जाएं।