(Pi Bureau)
सौरभ सिंह सोमवंशी
लखनऊ।
अयोध्या एक ऐसी भूमि है जो संघर्ष से मुक्त रही है,लेकिन इस देश का दुर्भाग्य रहा है कि भारतीय सभ्यता की सामूहिक स्मृति के अभिन्न अंग भगवान श्री राम जो स्वयं धर्म और न्याय के प्रतीक हैं,उन्हीं के घर के लिए 1528 में तब से संघर्ष प्रारंभ हुआ जब से मुगल आक्रांता बाबर ने राम मंदिर का ध्वंस कर वहां पर बाबरी मस्जिद का निर्माण किया।भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे व दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक,लेखक व विचारक डॉक्टर स्वदेश सिंह की एक पुस्तक आई है अयोध्या राम मंदिर भारत”क्वेस्ट फॉर रामराज्य” यह पुस्तक राम मंदिर के लिए 495 वर्षों के संघर्ष को दर्शाती है। अशोक सिंघल, गोरक्ष पीठ दिग्विजय नाथ, अवैद्यनाथ और उससे भी पहले के तमाम संतों व हजारों लोगों लाखों लोगों के संघर्षों को इस पुस्तक में बताने का प्रयास किया गया है।अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर भारतीय धर्मनिरपेक्षता की जीत है भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश संवैधानिक रूप से तो 1976 में हुआ लेकिन धर्मनिरपेक्षता इसके संस्कृति में बहुत पहले से विद्यमान रही है जिसके संवैधानिक दृष्टिकोण के अनुसार धर्म के मामले में राज्य तब तक हस्तक्षेप नहीं करता जब तक कि विभिन्न धर्मों की मूल धारणाओं में आपस में टकराव की स्थिति उत्पन्न न हो। राम के सार और महत्व को भारतीय उपमहाद्वीप और उससे परे सदियों से सहज रूप से समझा जाता रहा है, डॉ स्वदेश सिंह ने अपनी किताब में यह सब कुछ बताने का प्रयास किया है। यह पुस्तक भारत और दुनिया भर में लोकप्रिय भगवान राम के जीवन और तमाम किंवदंतियों की पड़ताल करती है, साथ ही 2019 में राम जन्मभूमि मामले के न्यायिक समाधान होने तक अयोध्या में श्री राम मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए लगभग 500 साल के लंबे संघर्ष का भी वर्णन करती है। श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा विवाद में हिंदुओं की एक पक्षकार सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन सिंह के अनुसार डॉक्टर स्वदेश सिंह की यह पुस्तक भगवान श्री राम, अयोध्या जी और भारतीय संस्कृति के लिए संघर्ष करने वाले व संत समाज को समर्पित है।जिसे पढ़कर पता चलता है कि श्री राम मंदिर की पुन:स्थापना भारत के लिए निश्चित रूप से चहुमुखी सफलता की नीव रखने के सामान है , डॉक्टर स्वदेश सिंह ने किताब का प्रकाशन करने वाली संस्था रूपा प्रकाशन द्वारा मिली हुई धनराशि को श्री राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे व वर्तमान में निर्माण कार्य से जुड़े हुए राजेंद्र सिंह पंकज को भेंट कर दी है। डॉ स्वदेश सिंह के अनुसार उनके द्वारा छोटी सी धनराशि भगवान श्री राम के मंदिर में उनका एक छोटा सा योगदान होगा। यहां यह बता देना आवश्यक है कि किताब का मूल संस्करण अंग्रेजी में है, जल्द ही हिंदी में उपलब्ध होगा।