(Pi bureau)
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पर पलटवार किया है। मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव को कुछ भी बयान देने से पहले सोच-विचार कर लेना चाहिए। उन्होंने अखिलेश पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया। मायावती अखिलेश यादव के बयान ‘जिम्मेदारी’ वाले से नाराज दिखीं।
मायावती ने एक्स पर लिखा, ‘अपनी व अपनी सरकार की ख़ासकर दलित-विरोधी रही आदतों, नीतियों एवं कार्यशैली आदि से मजबूर सपा प्रमुख द्वारा बीएसपी पर अनर्गल तंज़ कसने से पहले उन्हें अपने गिरेबान में भी झांँककर जरूर देख लेना चाहिए कि उनका दामन भाजपा को बढ़ाने व उनसे मेलजोल के मामले में कितना दाग़दार है।’
उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा, ‘साथ ही, तत्कालीन सपा प्रमुख द्वारा भाजपा को संसदीय चुनाव जीतने से पहले व उपरान्त आर्शीवाद दिए जाने को कौन भुला सकता है। और फिर भाजपा सरकार बनने पर उनके नेतृत्व से सपा नेतृत्व का मिलना-जुलना जनता कैसे भूला सकती है। ऐसे में सपा साम्प्रदायिक ताकतों से लडे़ तो यह उचित होगा।’
बता दें कि अखिलेश यादव ने बीते दिन गुरुवार को बलिया में थे। इस दौरान आईएनडीआईए में बसपा के शामिल होने के सवाल पर अखिलेश ने मायावती की पर भरोसे को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उनकी (मायावती) की जिम्मेदारी कौन लेगा। वहीं, यह बात भी सामने आ रही है कि अखिलेश यादव बसपा को आईएनडीआईए में शामिल करने के पक्ष में नहीं दिख रहे।
गठबंधन के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि जनता भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का मन बना ली है। मकर संक्रांति के बाद गठबंधन की हर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार प्रधानों के पैसे से अपना प्रचार करवा रही है। धरातल पर काम दिखाई देता तो मंच लगाकर उसकी मुनादी नहीं करनी पड़ती।