(Pi Bureau)
तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच अभी गठबंधन की संभावनाएं बरकरार हैं। कांग्रेस लगातार तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं को लेकर बातचीत भी कर रही है। जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ जल्द ही एक महत्वपूर्ण बैठक करने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के समझौते में सबसे बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। अनुमान यह भी लगाया जा रहा है INDIA गठबंधन में उत्तर भारत की जिन पार्टियों के साथ सीट शेयरिंग के फार्मूले पर पेंच फंसा है वहां पर अभी भी गठबंधन के बरकरार रहने की संभावना बनी हुई है।
कांग्रेस के नेताओं की ओर से तृणमूल कांग्रेस के नेताओं से गठबंधन जारी रखने और सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर शनिवार को बातचीत हुई है। इस बातचीत को आगे बढ़ाने वाली टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य ने बताया कि दोनों पार्टियां गठबंधन और सीट शेयरिंग के फार्मूले पर तैयार हैं। हालांकि, कुछ मामलों को लेकर दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच टकराव बना है।
सूत्रों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ममता बनर्जी और कांग्रेस के बीच में सुलह का एक प्रमुख जरिया बन सकते हैं। गठबंधन में शामिल एक प्रमुख दल के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि अखिलेश यादव और ममता बनर्जी की जो केमिस्ट्री है, उसमें वह सकारात्मक भूमिका के साथ गठबंधन को मजबूत करने के लिए आगे आ सकते हैं, क्योंकि अखिलेश यादव लगातार गठबंधन को मजबूत करने की न सिर्फ हिमायत करते रहे हैं बल्कि यूपी में सीटों के बंटवारे के साथ उन्होंने यह साबित भी किया है। ऐसे में गठबंधन समूह इस आधार पर आगे की रणनीति भी बना रहा है।
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए यूपी में 11 सीटें दी हैं। उससे इस बात की संभावना बनी है कि अन्य राज्यों में भी कांग्रेस की ओर से सीटों को लेकर ज्यादा दबाव नहीं होगा। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में जिस तरह से कांग्रेस को समाजवादी पार्टी की ओर से सीटें दी गई हैं उससे अन्य राज्यों में भी सीटों के बंटवारे पर बेहतर सामंजस्य बनता हुआ दिख रहा है।
गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में सीटों को लेकर ममता बनर्जी के साथ कोई भी पेंच नहीं फंसा है। उनका कहना है कि यहां पर कांग्रेस पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के बीच में मतभेद हैं। जिसको लेकर ममता बनर्जी ने नाराजगी जाहिर की और अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया। वह कहते हैं कि ममता बनर्जी ने सभी सीटों पर अभी अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। इसलिए कांग्रेस और ममता बनर्जी के बीच में अभी बातचीत का रास्ता खुला हुआ है। दोनों पार्टी के नेता लगातार बातचीत भी कर रहे हैं। शनिवार को इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक भी हुई है।
सियासी जानकार भी कहते हैं कि जिस तरीके से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच समझौता हुआ है उसी तरह पश्चिम बंगाल में भी समझौते की अब उम्मीद दिख रही है। जानकारों का मानना है जिस तरीके से अखिलेश यादव गठबंधन की मजबूती को लेकर लगातार बयान देते आए हैं उससे माना यही जा रहा है कि अखिलेश यादव गठबंधन को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बीते दिनों ममता बनर्जी के अकेले चुनाव लड़ने पर कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाने की सलाह भी दी थी।
उन्होंने कहा था कि गठबंधन समूह मजबूत है और जीत के आधार पर ही सीटों का बंटवारा होगा। गठबंधन समूह में पहली बार दो प्रमुख और बड़ी पार्टियों सपा और कांग्रेस के बीच में सीटों का बंटवारा हुआ है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में भी इसी आधार पर ममता बनर्जी के साथ सीटों के बंटवारे पर बातचीत कर गठबंधन को आगे ले जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की शनिवार को गठबंधन को लेकर बातचीत हुई है। इस बातचीत में उन मुद्दों पर चर्चा हुई जिसको लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच में मतभेद पैदा हुए हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में सीटों के बंटवारे पर चर्चा करने की बजाय गठबंधन को आगे ले जाने पर सबसे ज्यादा जोर दिया है।
ऐसे में माना यही जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में भी अगर कांग्रेस को बहुत ज्यादा सीटें चुनाव लड़ने के लिए नहीं मिलती है तब भी ममता और कांग्रेस मिलकर ही चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस पार्टी के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि अगर ममता बनर्जी किसी कारण से नाराज है तो उनको मनाया जाएगा। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश कहते हैं कि ममता बनर्जी के बगैर विपक्षी गठबंधन INDIA की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि लोकसभा के चुनावों में INDIA गठबंधन एकजुट होकर चुनाव लड़ने वाला है। ममता बनर्जी उनके साथ पश्चिम बंगाल में मिलकर चुनाव लड़ेंगी।