(Pi Bureau)
लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में सरगर्मी बढ़ने लगी है। मुरादाबाद मंडल में 2014 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए भाजपा दूसरे दलों से पहले प्रत्याशी घोषित करने का दांव खेल सकती है। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा आखिर में की थी।
वहीं 2014 के चुनाव में मंडल की सभी छह सीटें जीतने वाली भाजपा पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। 2019 का लोकसभा चुनाव सपा, बसपा और रालोद ने मिलकर लड़ा था। इसके बावजूद भाजपा गठबंधन को यूपी में 64 सीटों पर जीत मिली थी। 16 सीटों पर विपक्षी दल विजयी हुए थे। बसपा को दस, सपा को पांच और कांग्रेस को एक सीट मिली थी।
सपा, बसपा और रालोद ने मिलकर लड़ा था। इसके बावजूद भाजपा गठबंधन को यूपी में 64 सीटों पर जीत मिली थी। 16 सीटों पर विपक्षी दल विजयी हुए थे। बसपा को दस, सपा को पांच और कांग्रेस को एक सीट मिली थी।
प्रदेश में 64 सीटें जीतने वाली भाजपा मुरादाबाद मंडल की सभी छह सीटें हार गई थी। तीन सीटों पर सपा और तीन पर बसपा ने जीत दर्ज की थी। हालांकि रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा ने सपा को हराकर मंडल में अपना खाता खोल लिया है। वहीं 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन मंडल में बेहतर नहीं था।
मंडल की 27 में से 17 सीटें भाजपा हार गई थी। 2024 के चुनाव में मंडल की सीटों पर जीत के लिए भाजपा हर दांव आजमाएगी। पहले से जारी होमवर्क केतहत मुरादाबाद के चौधरी भूपेंद्र सिंह को प्रदेश भाजपा की कमान सौंप जाटों से सीधा नाता जोड़ा हैं तो यादव बिरादरी को साधने के लिए भाजपा ने सुभाष यदुवंश को पश्चिमी यूपी का प्रभारी बनाया है।
वहीं 23 दिसंबर को किसान दिवस पर बिलारी में आयोजित प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम और किसान सम्मेलन में शामिल होकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने किसानों को साधने की कोशिश की थी।
इसके अलावा जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों को बदलने में जातिगत समीकरण को ध्यान में रखा गया है। दूसरी ओर विपक्षी दल अभी गठबंधन को लेकर तालमेल बैठाने में लगे हैं। लेकिन भाजपा प्रत्याशियों के चयन में लगी है। इस बीच पहले प्रत्याशी घोषित कर भाजपा विपक्षी दलों को चौंका सकती है।