(Pi bureau)
मंझनपुर में राष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव में शामिल होने आए सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य रविवार को फिर विवादित टिप्पणी कर गए। मीडिया के प्रश्न पर कि आप राम मंदिर कब जाएंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रामभद्राचार्य जी जीवन व मौत से जूझ रहे हैं। उन्हें राम मंदिर जाना चाहिए, वहां जाते तो उनका इलाज हो जाता और भगवान राम की कृपा हो जाती, लेकिन वह राम मंदिर न जाकर अस्पताल पहुंच गए। इसका मतलब है कि विज्ञान सच है। विज्ञान की ताकत में उन्हें भी जाना पड़ा। इसलिए यह प्रश्न रामभद्राचार्य जी से पूछना चाहिए, स्वामी प्रसाद मौर्य से नहीं।
उन्होंने रास्ते में हिंदू संगठन के विरोध प्रदर्शन को लेकर भी पलटवार किया। उन्होंने महोत्सव में संबोधन के दौरान बातों ही बातों में बोल दिया कि हाथी चलता रहा अपनी चाल, भौंकते रहे कुत्ते। इसके बाद सपा नेता ने यह भी कहा कि पहले विपक्ष के लोग सत्ता पक्ष को काले झंडे दिखाते थे। आज सत्ता पक्ष के लोग विपक्ष को काला झंडा दिखा रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि भाजपा मुझसे डरी हुई है। उन्होंने जातिवाद के नाम पर मुखर होते हुए कहा कि जाति पशु-पक्षियों की होती है…इंसानों की नहीं। इंसानों की जाति धंधों के लिए बनाई गई है।
कहा कि पांच से 10 किलो चावल देकर लोगों को जीने का जरिया बना दिया गया है। देश के प्रधानमंत्री अपने आप को पिछड़ा वर्ग का बताते हैं, लेकिन जब बात आरक्षण की आती है तो गरीबी पर विश्वास रखते हैं। देश में लगभग 80 करोड़ लोग बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। पांच से 10 किलो चावल देकर लोगों को जीने का जरिया बना दिया गया है।
लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने के सवाल पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि रामलला के नायक रहे लालकृष्ण आडवाणी को राम मंदिर में नहीं आमंत्रित किया गया। अब उसी का प्रायश्चित करने के लिए उन्हें भारत रत्न दिया गया।