कर्मचारी पेंशन योजना में प्रतिमाह 1000 रुपये बढ़ोतरी होगी या नहीं, संसद में सरकार से मिला ये जवाब !!!

(Pi Bureau)

श्रमिक संगठनों एवं जन प्रतिनिधियों जैसे हितधारकों से केंद्र सरकार के समक्ष कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में प्रतिमाह एक हजार रुपये की बढ़ोतरी की मांग प्राप्त हुई थी। अब केंद्र सरकार द्वारा ईपीएस में बढ़ोतरी होगी या नहीं, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में पांच फरवरी को जवाब दे दिया है।

उन्होंने बताया, ईपीएस 1995 के पैरा 32 के तहत यथा अधिदेशित निधि का मूल्यांकन वार्षिक आधार पर किया जाता है। 31 मार्च 2019 के निधि के मूल्यांकन की स्थिति के अनुसार, बीमांकिक घाटा हुआ है। खास बात है कि राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि ईपीएस में एक हजार रुपये की बढ़ोतरी होगी या नहीं।

संसद के अंतरिम बजट सत्र में लोकसभा सदस्य ए. गणेशमूर्ति ने श्रम और रोजगार मंत्री से कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में वृद्धि को लेकर कई सवाल पूछे थे। उन्होंने पूछा, क्या सरकार को ईपीएफ पेंशन की न्यूनतम राशि में वृद्धि के लिए श्रमिक संगठनों, जन प्रतिनिधियों जैसे हितधारकों से मांग प्राप्त हुई है। दूसरा, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और इस संबंध में सरकार द्वारा क्या कार्यवाही की गई है या किए जाने का विचार है। तीसरा, क्या सरकार पेंशन गणना सूत्र को संशोधित करेगी, क्योंकि वर्तमान सूत्र ईपीएस-95 योजना के तहत पेंशनभोगियों के खिलाफ मनमाना और पक्षपातपूर्ण है। यदि हां तो इसका तत्संबंधी ब्यौरा क्या है।

श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने उक्त सवालों के जवाब में सदन को बताया, कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 1995 के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन को मौजूदा 1000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाने के लिए श्रमिक संघों और जन प्रतिनिधियों सहित विभिन्न हितधारकों से अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं। ईपीएस, 1995, एक ‘परिभाषित अंशदान-परिभाषित लाभ’ सामाजिक सुरक्षा योजना है। कर्मचारी पेंशन निधि का कोष (1) नियोक्ता द्वारा वेतन के 8.33 फीसदी की दर से अंशदान और (2) 15,000/-रुपये प्रति माह तक के वेतन के 1.16 फीसदी की दर से केंद्र सरकार बजटीय सहायता के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा अंशदान से बना है। योजना के तहत सभी लाभों का भुगतान इस प्रकार की संचित राशि से किया जाता है। ईपीएस, 1995 के पैरा 32 के तहत यथा अधिदेशित निधि का मूल्यांकन वार्षिक आधार पर किया जाता है और दिनांक 31 मार्च 2019 के निधि के मूल्यांकन की स्थिति के अनुसार, बीमांकिक घाटा हुआ है।

योजना के तहत सदस्य की पेंशन की राशि का निर्धारण, सेवा की पेंशन योग्य अवधि और पेंशन योग्य वेतन को ध्यान में रखते हुए (पेंशन योग्य सेवा x पेंशन योग्य वेतन ÷ 70), इस सूत्र के मुताबिक किया जाता है। तथापि सरकार ने पहली बार, वर्ष 2014 में बजटीय सहायता प्रदान करके ईपीएस, 1995 के तहत पेंशनभोगियों को प्रति माह 1000 रुपये की न्यूनतम पेंशन प्रदान की, जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को ईपीएस के लिए वाषिक रूप से प्रदान की जाने वाली वेतन के 1.15% की बजटीय सहायता के अतिरिक्त थी।

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