(Pi Bureau)
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. वह इस बार भी अपने बेतुके बयानों को लेकर केंद्र में हैं. पूर्व भारतीय राजनयिक मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि उनका जितना खुले दिल से पाकिस्तान में स्वागत हुआ, उतना किसी और देश में नहीं हुआ. अय्यर ने कहा, ‘मेरा अनुभव कहता है कि पाकिस्तानी दूसरे पक्ष को लेकर शायद जरूरत से अधिक प्रतिक्रिया देते हैं. यदि हम मित्रवत हैं तो उनका व्यवहार बहुत अधिक दोस्ताना होगा और यदि हम शत्रुतापूर्ण हैं तो उनका व्यवहार बहुत अधिक शत्रुतापूर्ण होगा.’ मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान की तारीफ पर ही नहीं रुके. उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर भी सवाल उठा दिया.
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने लाहौर के अलहमरा में फैज महोत्सव के दूसरे दिन ‘हिज्र की राख, विसाल के फूल: भारत-पाक मामले’ शीर्षक वाले सत्र के दौरान यह टिप्पणी की. रिपोर्ट के अनुसार, अय्यर ने कहा कि उनका किसी भी और देश में ऐसा खुले दिल से स्वागत नहीं किया गया, जैसा पाकिस्तान में किया गया. उन्होंने कहा कि जब वह कराची में महावाणिज्य दूत के रूप में तैनात थे, तो हर कोई उनकी और उनकी पत्नी की देखभाल किया करता था. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पुस्तक ‘मेमोयर्स ऑफ ए मेवरिक’ में ऐसी कई घटनाओं के बारे में लिखा है, जो पाकिस्तान को भारतीयों की कल्पना से बिल्कुल अलग देश के रूप में दिखाती है.
‘विपरीत स्थिति पैदा हुई..’
मणिशंकर अय्यर ने कहा कि सद्भावना की आवश्यकता थी, लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार सरकार के गठन के बाद से पिछले 10 साल में सद्भावना के बजाय विपरीत स्थिति पैदा हुई है. बता दें कि जनवरी 2016 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों द्वारा भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमलों के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध और खराब हो गए हैं. भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत नहीं करेगा, क्योंकि बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते.
मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान की तारीफ के साथ ही भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की आलोचना कर डाली. उन्होंने कहा, ‘मैं (पाकिस्तान के) लोगों से बस यही कहना चाहता हूं कि वे इस बात को याद रखें कि (प्रधानमंत्री) मोदी को कभी एक-तिहाई से अधिक वोट नहीं मिले. लेकिन, हमारी प्रणाली ऐसी है कि अगर उनके पास एक-तिहाई वोट हैं, तो उनके पास दो-तिहाई सीट हैं, इसलिए दो-तिहाई भारतीय आपकी (पाकिस्तानियों की) ओर आने को तैयार हैं.’ कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि व्यापारियों, छात्रों और शिक्षाविदों को दोनों देशों की सरकारों को दरकिनार करते हुए भारत और पाकिस्तान के बाहर मिलना जारी रखना चाहिए.