(Pi bureau)
परिषदीय स्कूलों के सुस्त सिस्टम को गति देने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए दैनिक कार्यों से जुड़े 12 रजिस्टर को ऑनलाइन कर दिया गया है। 15 फरवरी से यह व्यवस्था प्रदेश के सभी स्कूलों में शुरू होनी है। इसके लिए स्कूलों में प्राथमिक व कंपोजिट स्कूलों में टैबलेट पहुंच चुके हैं, लेकिन अभी तक सिम को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है।
ऐसे में बड़ा प्रश्न है कि बिना सिम और इंटरनेट टैबलेट काम कैसे करेगा। 61 जूनियर हाइस्कूल में अभी तक टैबलेट भी नहीं मिले हैं।
अब वह अपने व्यक्तिगत पहचान पत्र से सिम लेंगे और भविष्य में उनका स्थानांतरण होता है। तब उनको नंबर ले जाने दिया जाएगा। जब उस नंबर का प्रयोग स्कूल की पहचान के तौर पर सभी विभागीय प्लेटफार्म और एप पर होना है तो विभाग सीयूजी नंबर उपलब्ध क्यों नहीं करा रहा है। सीयूजी नंबर रहेगा तो वह व्यक्ति के स्थान पर प्रधानाचार्य पद का होगा। उससे भविष्य में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी।
अभी तक सिम खरीदने को लेकर सहमति नहीं बनी है। ऐसे में बिना सिम टैबलेट में इंटरनेट भी नहीं चल जाएगा। ऐसे में अगले दो दिन में स्थिति साफ नहीं होगी तो जिले में 15 फरवरी से ऑनलाइन व्यवस्था शुरू होना भी मुश्किल लग रहा है।
जिले में 511 परिषदीय स्कूलों में करीब एक लाख छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति, मिड-डे मील, समेकित निश्शुल्क सामग्री वितरण, आय-व्यय, पत्र-व्यवहार, बाल गणना, पुस्तकालय, खेलकूद समेत 12 रजिस्टर का काम एप के माध्यम से ऑनलाइन होगा।
जिले के 61 जूनियर हाइस्कूल (छह से आठवीं तक) को अभी तक टैबलेट नहीं मिले हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रवीन शर्मा ने बताया कि विभागीय अधिकारी टैबलेट मिलने की स्थिति स्पष्ट करने की बजाए शिक्षकों अपने निजी मोबाइल में एप इंस्टाल कराने की बात कह रहे हैं।
शिक्षकों को अभी तक प्रशिक्षण नहीं परिषदीय स्कूलों को टैबलेट मिले एक लंबा समय हो गया है, लेकिन विभाग टैबलेट चालू नहीं करा पाया है। इसके चलते शिक्षकों का प्रशिक्षण भी नहीं हो पाया है। ऐसे में अचानक नया काम करने में शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
शिक्षक भी अभी तक पूरी व्यवस्था को लेकर संशय में है। ज्यादातर स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने बताया कि टैबलेट मिलने के बाद इनके प्रयोग और ऑनलाइन काम करने को लेकर विभाग से अभी तक कोई निर्देश नहीं मिले।