PM मोदी ने अबू धाबी में पहले मंदिर का किया उद्घाटन, बोले- मैं मां भारती का पुजारी..

(Pi bureau)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को मंत्रोच्चार के बीच और स्वामीनारायण संप्रदाय के आध्यात्मिक नेताओं की उपस्थिति में अबू धाबी के पहले मंदिर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यूएई की भूमि ने इस मंदिर के उद्घाटन के साथ ही मानवता के इतिहास में सुनहरा अध्याय लिख दिया है।

हल्के गुलाबी रंग की रेशमी धोती और कुर्ता, स्लीवलेस जैकेट और स्टोल पहने प्रधानमंत्री ने ”वैश्विक आरती” में भी भाग लिया, जो बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा दुनियाभर में निर्मित स्वामीनारायण संप्रदाय के 1,200 से अधिक मंदिरों में एक साथ की गई।

मंदिर के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का सदियों पुराना सपना पूरा हुआ है। रामलला अपने घर में विराजमान हैं। पूरा भारत और हर भारतीय आज भी उस प्यार में डूबा हुआ है। अब मेरा दोस्त ब्रह्मविहारि स्वामी कह रहे थे कि मोदी जी सबसे बड़े पुजारी हैं, मुझे नहीं पता कि मुझमें मंदिर के पुजारी की योग्यता है या नहीं, लेकिन मुझे गर्व है कि मैं मां भारती का पुजारी हूं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भगवान ने शरीर का एक-एक कण जो दिया है, वह सिर्फ और सिर्फ भारती के लिए है। 140 करोड़ देशवासी मेरे आदर्श हैं। मैंने अबू धाबी में यह मंदिर देखा है। मित्रों, हमारे वेदों में कहा गया है- एकम् सत्य, विप्रा बहुधा वदन्ति अर्थात एक ही सत्य को विद्वान लोग अलग-अलग प्रकार से बताते हैं। यह दृष्टि भारत की मूल चेतना का हिस्सा है।

उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह मंदिर सांप्रदायिक सद्भाव और दुनिया की एकता का प्रतीक होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर के निर्माण में यूएई सरकार की कितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम होगी। यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद जायद अल नाहयान ने कहा था कि मंदिर सिर्फ बनना ही नहीं चाहिए, बल्कि वैसा दिखना भी चाहिए।

इससे पहले मोदी ने विभिन्न धर्मों के लोगों से मुलाकात की, जिन्होंने यहां पहले मंदिर के निर्माण में योगदान दिया। साथ ही मंदिर में वर्चुअल गंगा और यमुना नदियों में जल भी चढ़ाया। मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, भव्य मंदिर का निर्माण शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार किया गया है। यह पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है।

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