(Pi Bureau)
शामली में चौसाना के जिजौला में किसानों की समस्याओं को लेकर आयोजित महापंचायत में किसान नेताओं ने अपना-अपना पक्ष रखा। साथ ही मतभेद भुलाकर एकजुटता के साथ किसानों की समस्याओं पर आवाज उठाने का संकल्प लिया। पंचायत में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने ने केंद्र सरकार की नीतियों को किसान विरोधी बताया। पंचायत की अध्यक्षता खलील प्रधान भडी और संचालन देवराज पहलवान भैंसवाल ने किया।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि सरकारें पहले भी थीं और मुद्दे भी पहले थे। किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा, जिससे किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। सरकार चाहती है कि किसान परेशान हों। आज किसान रात्रि में भी चाहे तो अपनी जमीन बेच सकता है। सरकार ने रात्रि में भी बैनामे खोले हुए हैं, जमीने छीनने का प्लान चला हुआ है।
उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियों का फायदा कैसे होगा, ऐसी नीतियों पर काम चल रहा है। जब किसान का ट्रैक्टर खत्म होगा, किसान की गाड़ी खराब, खत्म होगी तो कंपनियों को फायदा होगा। सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोका है। किसान सरकार को 2024 में आने से रोकेंगे। किसानों ने बकाया गन्ना भुगतान, एमएसपी पर गारंटी कानून, किसानों पर दर्ज मामलों को एक्सपंज कराने की भी मांग जोर शोर से उठाई।
पंचायत में बत्तीसा खाप के चौधरी शौकिंद्र मलिक ने किसानों को एकजुट होकर अपनी समस्याओं पर लड़ने का आह्वान किया। साथ ही भाकियू की रणनीति पर सरकार का विरोध करने के लिए दिल्ली कूच करने की बात कही।
गठवाला खाप के थाम्बेदार चौधरी बाबा श्याम सिंह ने कहा कि सरकार किसानों पर डिजिटल मीटर थोपने जा रही है, किसानों के पास तो पैसे फसल के बाद आते हैं। ऐसे में किसानों की फसलें खराब हो जाएंगी। साथ ही भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों को एकजुट होकर लड़ना होगा और आपसी मनमुटाव को भूलाना होगा।
किसान संगठनों को तोड़ा जा रहा
वक्ताओं ने कहा कि किसान संगठनों को तोड़ने का काम किया जा रहा है। सभी को एकजुट रहना है। इस दौरान नवाब सिंह, हसन प्रधान, जाहिद, अरविंद चौधरी, राजकुमार, भाकियू जिलाध्यक्ष कलिंदर मलिक, पूर्व जिलाध्यक्ष भाकियू कपिल खाटियान आदि मौजूद रहे।
कव्वाली का भी किया गया आयोजन
पंचायत से पूर्व पुलिस-प्रशासन व आयोजकों को तीन से पांच हजार लोगों के शामिल होने की उम्मीद थी। भीड़ जुटाने के लिए नृत्य व कव्वाली आदि का भी आयोजन किया गया, जिसका किसानों ने लुत्फ उठाया।