तो… यूपी में इसलिए नहीं हुआ बड़ा फेरबदल, आड़े नहीं आए ये बड़े बैरियर

(Pi bureau)

भारतीय जनता पार्टी ने 195 प्रत्याशियों की सूची शनिवार देर शाम को जारी कर दी। सूची में घोषित नाम के बाद इसको एक बार फिर से अप्रत्याशित सूची के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली की घोषित प्रत्याशियों की लिस्ट के अलावा ज्यादातर राज्यों में बहुत बड़ी छेड़छाड़ नहीं की है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने घोषित सीटों पर सौ फ़ीसदी प्रत्याशियों का टिकट रिपीट करके यह जताया हैं कि राज्य में कोई भी एंटी इनकंबेंसी सांसदो के खिलाफ नहीं है। सियासी जानकार भी मानते हैं इसी स्ट्रेटजी के साथ भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों ने मनोवैज्ञानिक तौर पर भी राज्य में एक बड़ा सियासी संदेश दिया है। इसके अलावा जीतने वाले प्रत्याशियों की लाइन में ना तो उम्र का कोई संकट सामने आया और ना ही किसी तरह के विवादित मामले में टिकट कटने का कोई बैरियर लगा।

वरिष्ठ पत्रकार बृजेंद्र शुक्ला कहते हैं कि दरअसल उत्तर प्रदेश में विकास के नाम पर डबल इंजन सरकार की बड़ी दुहाई देती आई है। ऐसे में अगर एक साथ बड़े टिकट काट दिए जाते तो लोगों के बीच में बना यह संदेश जाता कि जिस प्रदेश में सबसे ज्यादा विकास की और बदलाव की बात हो रही है। वहां पर अचानक बड़े स्तर पर टिकटों का बदलाव कर देना कहीं ना कहीं यह संदेश देता की अंदर खाने सब ठीक नहीं है। शुक्ल कहते हैं कि बड़े स्तर पर टिकट काटे जाने का मतलब यही होता है कि संसद या विधायक परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं। इसीलिए भारतीय जनता पार्टी ने न सिर्फ जिताऊ कैंडिडेट पर भरोसा जताते हुए सभी 47 सीटों पर दोबारा मैदान में उतारा। बल्कि यह संदेश दिया है कि मोदी सरकार जो कह रही है वही जमीन पर हो रहा है। उसके अलावा नेताओं के विवाद सामने आने के साथ उम्र जैसे अहम बैरियर भी विनिबिलिटी के मामले में फेल हो गए।

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में जिन 51 सीटों पर नाम घोषित किए हैं उनमें 47 नाम मौजूदा सांसदों के ही हैं। सिर्फ चार नए नाम नए बतौर प्रत्याशी जोड़े गए हैं। ये वो सीटें हैं जहां पर भाजपा पिछले चुनाव में हार गई थी। जिसमें जौनपुर से कृपाशंकर सिंह को सियासी मैदान में उतारा गया है। जबकि अंबेडकर नगर से रितेश पांडे को चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा है। इसी तरह श्रावस्ती से नरेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा को चुनावी मैदान में उतर गया है। जबकि नगीना से ओम कुमार को टिकट दिया गया है। इसके अलावा सभी 47 टिकट दोबारा रिपीट किए गए हैं। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर महेंद्र नाथ पांडे और विवादों में घिरे रहे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी समेत इन 51 सीटों में शामिल मोदी कैबिनेट के मंत्री शामिल है।

सियासी गलियारों में टिकट घोषित होने से पहले चर्चा इस बात की हो रही थी कि ज्यादा से ज्यादा प्रत्याशियों के टिकट काटे जा सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों के मुताबिक बीते एक साल से जमीनी स्तर पर किए जाने वाले सर्वे की प्रत्येक रिपोर्ट न सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व को दी जा रही थी। बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी प्रत्येक वक्त होने वाली प्रगति की रिपोर्ट पर चर्चा होती थी। भारतीय जनता पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से स्पष्ट संदेश था कि जीतने वाले प्रत्याशी पर ही दांव लगाया जाना है। यही वजह है कि 75 साल से अधिक की उम्र का फार्मूला भी इसके आड़े नहीं आया। सियासी जानकार भी मानते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से प्रत्याशियों के नाम उत्तर प्रदेश में रिपीट किए हैं वह मनोवैज्ञानिक तौर पर भी एक तरह से संदेश देने वाला है।

हालांकि उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 51 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने अभी प्रत्याशी घोषित किए हैं। प्रदेश में भाजपा 74 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है। इसलिए बची तेरी सीटों पर अभी घोषणा तो नहीं हुई है लेकिन जल्द ही उसकी भी सूची जारी कर दी जाएगी। सियासी जानकारों की माने तो जिन सीटों पर अभी प्रत्याशी नहीं घोषित किए गए हैं उन पर जरूर बड़े फेर बदल देखने को मिल सकते हैं। इसमें मेनका गांधी, वरुण गांधी, बृजभूषण शरण सिंह, संघमित्रा मौर्य समेत कई महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं। सियासी जानकार देवेंद्र सिंह कहते हैं कि जिन 51 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए गए उनमें कुछ नेताओं को लेकर विवाद भी था। देवेंद्र कहते हैं कि बावजूद इसके जिताऊ कैंडिडेट होने के नाते ना तो विवाद देखा गया और ना ही उम्र का कोई फिगर आने आया।

 

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