(Pi Bureau)
महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ रही है। पुरुषों के वर्चस्व वाले हर क्षेत्र में उनकी नुमाइंदगी है। राजनीति भी अछूती नहीं है। आदिवासी क्षेत्र की द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने के बाद महिलाओं की इस क्षेत्र में भाग्य आजमाने की इच्छा और बलवती हुई। महिला आरक्षण और मजबूत हथियार बना।
विपक्षी दल भी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाने के साथ ही संगठन में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ा रहे हैं। चुनौतियां अब भी हैं, लेकिन उम्मीदें भी कम नहीं हैं। लिंगानुपात से लेकर पोषण की दिशा में काफी कुछ हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
प्रदेश की महिलाओं की केंद्रीय राजनीति में भागीदारी आजादी के बाद से ही शुरू हो गई थी, लेकिन यह नाममात्र ही थी। पहली लोकसभा में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को मिलाकर 86 सीटें थीं, जिसमें चार महिला सासंद चुनी गईं। इसी तरह महिलाओं की भागीदारी सिर्फ पांच फीसदी थी, जो वर्ष 2019 में करीब 14 फीसदी पहुंच गई। यह बात अलग है कि वर्ष 1971 में उत्तर प्रदेश से 16 महिलाएं मैदान में उतरीं, लेकिन कोई भी सदन में नहीं पहुंच पाई। यह चुनाव कई मायने में अहम था। इसमें एक तरफ इंदिरा गांधी तो दूसरी तरफ मोरारजी देसाई थे।
चुनाव में नई और पुरानी कांग्रेस के बीच संघर्ष था। इंदिरा ने गरीबी हटाओ का नारा दिया और विरोधियों ने इंदिरा हटाओ। इसमें इंदिरा गांधी को देश के मतदाताओं ने स्वीकार किया था। 1977 में विभिन्न दलों से 13 महिलाएं मैदान में उतरीं और तीन लोकसभा पहुंचने में कामयाब रहीं।
बहरहाल, अभी यूपी से लोकसभा में 12 सांसद हैं तो राज्यसभा में सात महिलाएं हैं। भारत की संसद में कुल 104 महिला सांसद हैं लोकसभा व राज्यसभा को मिलाकर। इसका मतलब यह है कि संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है।
यूपी विधानसभा में भागीदारी
उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 सदस्यों में सिर्फ 48 महिलाएं हैं। यह कुल संख्या का केवल 12 फीसदी है। महिला आरक्षण लागू हुआ तो 132 सीटों पर उनका प्रतिनिधित्व होना तय है। विधान परिषद में सिर्फ 6 फीसदी महिलाओं की भागीदारी है।
महिला आरक्षण में ये प्रावधान हैं
लोकसभा में पेश महिला आरक्षण बिल में महिलाओं के लिए सभी सदनों में 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। एससी-एसटी और एंग्लो इंडियंस के लिए 33 फीसदी उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। हर चुनाव में आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाएगा। यह व्यवस्था 15 सालों के लिए लागू रहेगी। इसके बाद आरक्षण की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।
महिलाओं की दलों में भागीदारी
भाजपा: पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने अपनी कार्यकारिणी में 18 उपाध्यक्ष बनाए हैं, इनमें दो महिलाएं हैं। इसी तरह सात प्रदेश महामंत्री में एक, वहीं 16 प्रदेश मंत्री में पांच महिला हैं। इस तरह पार्टी की 45 सदस्यीय कार्यकारिणी में आठ महिलाएं हैं।
सपा: पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की कार्यकारिणी में छह उपाध्यक्ष और तीन महासचिव में एक भी महिला नहीं है। 60 सचिव पद पर आठ महिलाएं हैं।
कांग्रेस: प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की कार्यकारिणी में 16 उपाध्यक्ष में कोई महिला नहीं है। 38 महासचिव में दो, 76 सचिव में दो महिलाएं हैं। इस तरह प्रदेश कार्यकारिणी में चार महिलाएं हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार में पांच महिला मंत्री बेबी रानी मौर्य कैबिनेट मंत्री, गुलाब देवी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और विजय लक्ष्मी गौतम, रजनी तिवारी, प्रतिभा शुक्ला राज्य मंत्री हैं।
मतदाता सूची से लेकर मतदान तक में बढ़ा रूझान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला विधेयक लागू करके आधी आबादी को लोकसभा व विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण दे दिया है। हालांकि यह आरक्षण इस चुनाव में लागू नहीं होगा, लेकिन महिलाओं में उत्साह दिखने लगा है। बीते माह प्रकाशित की गई मतदाता सूची में यह उत्साह साफ देखा जा सकता है।
प्रदेश में पुनरीक्षण के दौरान कुल 57,03,304 मतदाताओं के नाम जोड़े गए, जिसमें महिलाओं की संख्या 31,24,901 है और पुरुषों की 25,77,967 हैं। इस तरह पहले जहां महिलाओं का अनुपात 867 था, वह इस बार बढ़कर 878 हो गया है। इससे पहले तीन साल के मतदान में महिला मतदाताओं का रुझान देखा जाए तो वर्ष 2009 में जहां 44.23 फीसदी थी, वह 2009 में 59.56 फीसदी पर पहुंच गया है। फिलहाल अभी कुल मतदाताओं की संख्या 15 करोड़ 3 लाख है, जिसमें 7 करोड़ 14 लाख महिलाएं हैं। उम्मीद है इस बार भी मतदान में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
सरकार खोल रही है खजाना
केंद्र सरकार ने करीब 4.30 करोड़ उज्ज्वला गैस कनेक्शन बांटे हैं। इनमें से 48 फीसदी कनेक्शन उत्तर प्रदेश एवं प. बंगाल में बांटे गए।
प्रधानमंत्री ने होली पर महिलाओं के लिए दूसरा रिफिल सिलिंडर मुफ्त देने का वादा किया है। इसी तरह केंद्र सरकार की ओर से महिला समृद्धि योजना के तहत 1.40 लाख का स्वरोजगार के लिए लोन, प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के तहत गर्भवती महिला को छह हजार रुपये की मदद दी जा रही है। प्रदेश में बेटी के जन्म पर गरीब परिवार को भाग्यलक्ष्मी योजना से 50 हजार दिया जाता है।
सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, फ्री सिलाई मशीन योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना, मुद्रा लोन योजना आदि भी चलाई जा रही हैं।