बड़ी खबर:: अब नई जमीन पर दिलचस्प होगा दिग्गजों का मुकाबला, यहां BJP ने इन्हें दिया मौका !!!

(Pi Bureau)

जल, जंगल और जमीन से जुड़ी पीलीभीत लोकसभा सीट पर वरुण गांधी के मैदान से हटने के बाद दिग्गजों के बीच मुकाबला दिलचस्प होने के आसार हैं। सियासी मैदान में बसपा के अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू को छोड़ दिया जाए तो भाजपा के जितिन प्रसाद और सपा के भगवत सरन गंगवार के लिए यहां का रण बिल्कुल नया है।

ऐसे में प्रदेश सरकार के मंत्री और भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद के सामने गढ़ बचाने की चुनौती है तो सपा के भगवत सरन गंगवार के सामने पिछड़ा-मुस्लिम गठजोड़ के फार्मूले को साबित करने का मौका है। उधर, इस सियासी धरा के पुराने खिलाड़ी बसपा प्रत्याशी अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू तीसरी बार मैदान में हैं और उन्हें मुस्लिम-दलित व पिछड़ा वर्ग से समर्थन मिलने का पूरा भरोसा है।

कुर्मी मतदाताओं की निर्णायक भूमिका वाली इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने हिंदू मतों के भरोसे जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा है। वहीं, सपा ने कुर्मी बिरादरी में प्रभाव रखने वाले बरेली के भगवत सरन गंगवार को उम्मीदवार बनाकर मुस्लिम-कुर्मी मतों के सहारे कामयाबी का ताना-बाना बुना है। बसपा ने अपने दलित-मुस्लिम कार्ड को फिर से यहां आजमाने की कोशिश की है और अनीस अहमद खां पर विश्वास जताया है।

चार दशक से भाजपा का मजबूत गढ़ रही इस लोकसभा सीट पर 35 वर्षों में यह पहला मौका है, जब मेनका गांधी या वरुण गांधी यहां से भाग्य नहीं आजमा रहे हैं। भाजपा ने परिवारवाद की राजनीति को खारिज करने की गरज से शाहजहांपुर और धौरहरा से सांसद रहे वर्तमान में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को मैदान में उतारकर अगड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।

यही नहीं स्थानीय मंत्री संजय गंगवार, हाल ही में सपा छोड़कर आए हेमराज वर्मा, धर्मपाल सिंह सहित एनडीए गठबंधन की निषाद पार्टी के संजय निषाद के जरिये पिछड़ा वोट बैंक को पाले में लाने में भी पार्टी जुटी है। हिंदू मतों को एकजुट करने के साथ ही मुस्लिम मतों में सेंधमारी की कोशिश भी संगठन के जरिये हो रही है।

दूसरी तरफ, सपा अपने प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार के जरिये कुर्मी के अलावा यादव, लोध और अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ही मुसलमान मतदाताओं को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटी है। कुछ इसी फार्मूले पर बसपा भी आगे बढ़ रही है और उसने तीसरी बार अनीस अहमद खां को मैदान में उतारा है। फिलहाल, वरुण गांधी के मैदान से हटने के बाद इस पुरानी सियासी जमीन पर नए चेहरों के बीच होने वाले मुकाबले पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

कुर्मी और मुस्लिम मतदाता होंगे निर्णायक
पीलीभीत लोकसभा सीट पर मुस्लिम और कुर्मी बिरादरी के मतदाताओं पर खासतौर से सभी दलों की निगाहें हैं। ये दोनों ही चुनावी समीकरण बनाने और बिगाड़ने का काम करते हैं। इसके अलावा लोध किसान और राजपूतों की भी भूमिका अहम मानी जाती है। क्षेत्र के अंतर्गत पीलीभीत जिले के सदर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 60 से 70 हजार, बीसलपुर विधानसभा क्षेत्र में 70 से 80 हजार व बरखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में लगभग 30 हजार कुर्मी मतदाता हैं। पूरनपुर विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी मतदाताओं की संख्या कम है। वहीं इसी लोकसभा क्षेत्र में शामिल बरेली की बहेड़ी विधानसभा सीट में लगभग 85 हजार कुर्मी मतदाता हैं। पूरे लोकसभा क्षेत्र में 30 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।

जातिगत आंकड़े
मुस्लिम- पांच लाख, लोधी किसान- चार लाख 35 हजार, कुर्मी- दो लाख 15 हजार, मौर्य- 70 हजार, पासी- 70 हजार, जाटव- 65 हजार, बंगाली- 50 हजार, ब्राह्मण- 50 हजार, सिख- 45 हजार, कश्यप- 40 हजार, भुर्जी- 28 हजार, बढ़ई- 26 हजार, धोबी- 26 हजार, ठाकुर- 22 हजार, नाई- 19 हजार, यादव- 18 हजार, बनिया- 18 हजार, कुम्हार- 18 हजार, राठौर- 17 हजार, खटीक- 12 हजार, कोरी- 12 हजार, जाट- 12 हजार, कायस्थ- 12 हजार, पाल- आठ हजार, बेलदार- आठ हजार, गुर्जर- आठ हजार, धानुक- सात हजार, वाल्मीकि- सात हजार, गिरि- पांच हजार, सुनार- पांच हजार, जायसवाल-पांच हजार, माली- दो हजार, दर्जी- दो हजार, नट- एक हजार, ईसाई- एक हजार।

नोट– यह आंकड़े विभिन्न राजनीतिक दलों के आकलन के आधार पर हैं। इसमें बदलाव भी संभव है।

33 वर्ष पहले भाजपा की सेंधमारी, सात बार कुर्मी सांसद
इस सीट पर सात बार कुर्मी बिरादरी का ही सांसद चुना गया, लेकिन वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी की एंट्री के बाद यहां की राजनीति बदल गई। जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरीं मेनका ने कुर्मी बिरादरी के दिग्गज कांग्रेस के भानु प्रताप सिंह को करारी शिकस्त दी। इसके बाद यहां से वर्ष 1991 की राम लहर में भाजपा के टिकट पर परशुराम गंगवार ने बमुश्किल चुनाव जीता था। उसके बाद से कुर्मी बिरादरी के दिग्गज चुनाव मैदान में तो उतरे लेकिन संसद में दाखिल नहीं हो सके। इससे पहले वर्ष 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के कुंवर मोहन स्वरूप चुनाव जीते थे। कुर्मी बिरादरी के कुंवर मोहन स्वरूप लगातार चार बार यानी वर्ष 1971 में हुए चुनाव तक पीलीभीत के सांसद रहे। इसके बाद वर्ष 1980 में बरेली के हरीश कुमार गंगवार कांग्रेस से पीलीभीत के सांसद चुने गए। वर्ष 1984 का चुनाव बरेली के ही भानु प्रताप सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर जीता था।

एक नजर में पीलीभीत के प्रत्याशी
-भाजपा: वर्तमान में लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद शाहजहांपुर और धौरहरा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2008 की यूपीए सरकार में केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री सहित कई मंत्रालयों का प्रभार संभाल चुके हैं।
-सपा: बरेली की नवाबगंज विधानसभा से पांच बार विधायक भगवत सरन गंगवार वर्ष 2003 की तत्कालीन सपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं। इससे पहले ये बरेली लोकसभा सीट पर वर्ष 2019 में पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं।
-बसपा: पीलीभीत जिले की बीसलपुर विधानसभा का चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू तीसरी बार पीलीभीत लोकसभा सीट पर भाग्य आजमा रहे हैं। ये बसपा सरकार में मंत्री भी रहे हैं।

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