(Pi Bureau)
चुनाव का सीजन वाहन कंपनियों के लिए ‘धनतेरस’ से कम नहीं है। इस चुनावी सहालग में गाड़ियों की बिक्री ने रिकाॅर्ड तोड़ दिए हैं। कुछ खास सेगमेंट की गाड़ियां धुआंधार बिक रही हैं। या यूं कहें कि नेताओं की पसंदीदा एसयूवी गाड़ियां इन तीन महीनों में सबसे ज्यादा बिकी हैं।
प्रदेश में जनवरी से मार्च के बीच एसयूवी सेगमेंट की तीन बड़ी कंपनियों ने कुल 42,406 वाहन बेच दिए। इसमें नेताओं के पसंदीदा वाहनों की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा है। यानी इन तीन महीनों में करीब 17 हजार गाड़ियां राजनीति में दखल रखने वाली शख्सियतों ने खरीदी हैं।
पिछले साल जनवरी-मार्च की तुलना में ये वृद्धि 30 फीसदी से भी ज्यादा है। सियासी दुनिया में एसयूवी वाहनों का अलग ही रुतबा है। पार्षद, ग्राम प्रधान से लेकर सांसद और मंत्री तक के लिए आधिकारिक और गैर आधिकारिक दोनों ही वाहनों में एसयूवी की धाक है।
2024 लोकसभा चुनाव का वर्ष है। इसी का नतीजा है कि पिछले दो वर्षों की तुलना में इस वर्ष जनवरी से मार्च के बीच सेवन सीटर एसयूवी वाहन जमकर बिके। दिलचस्प बात है कि चुनावी सीजन में ट्रैक्टरों और ई रिक्शा की भी बिक्री में उछाल आया है। दो साल में ई रिक्शा की बिक्री दोगुना से ज्यादा हो गई। वहीं ट्रैक्टर की बिक्री में भी 50 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है।
विशेष फंडिंग से ई रिक्शा भी खूब बिके
ई रिक्शा असेम्बल करने वाले दो चर्चित ब्रांड के निदेशकों ने बताया कि उन्होंने जनवरी से मार्च के बीच शहर से लगी बस्तियों, ग्रामीण इलाकों और तहसीलों में करीब 8000 ई रिक्शा भेेजे हैं। सभी ई रिक्शा निजी फाइनेंस कंपनियों से लोन लेकर पास कराए गए हैं। एडवांस के रूप में 10 से 15 फीसदी तक की धनराशि ई रिक्शा मालिकों ने नहीं दी है, बल्कि किसी और ने ‘फंडिंग’ की है।
नेताओं में सबसे ज्यादा लोकप्रिय एसयूवी ब्रांड 2022 की जनवरी-मार्च की तुलना में इस वर्ष के शुरुआती तीन महीने में करीब दोगुना बिक गया। इसी तरह अप्रत्याशित उछाल एक अन्य बड़े ब्रांड में आया है। इस ब्रांड ने पिछले दो साल में एसयूवी सेगमेंट में सभी के छक्के छुड़ा दिए हैं।
चुनावी सीजन में भी इसका असर दिखा और केवल तीन महीने में 25 हजार से ज्यादा वाहन बेच दिए। वहीं एक अन्य मेक इन इंडिया ब्रांड ने भी 50 फीसदी ग्रोथ हासिल करते हुए 12 हजार से अधिक वाहन केवल तीन महीने में बेचे।