(Pi Bureau)
चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना का विधान है। देशभर में इस पर्व को बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत 09 अप्रैल, मंगलवार के दिन से हो चुका है। नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
आइए पढ़ते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
हिंदू शास्त्रों में वर्णित है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को यम, नियम के बंधन से मुक्ति मिलती है। साथ ही वह साधक कठिन संघर्षों में भी अपने कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से उसे सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्म को प्राप्त करने के लिए देवी भगवती ने तपस्या की थी इसलिए इनका नाम ब्रह्मचारिणी पढ़ा।
इस तरह करें पूजा
नवरात्रि के दूसरे दिन प्रातः स्नान ध्यान करने के बाद मंदिर की सफाई करें। इसके बाद मंदिर में एक चौकी पर मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत से स्नान करवाएं। सफेद रंग माता का प्रिय माना गया है, ऐसे में पूजा के दौरान उन्हें सफेद फूल और वस्त्र अर्पित करें।
इसके बाद माता को रोली, चंदन, अक्षत और लाल गुड़हल का फूल चढ़ाएं। इसके साथ ही मां के इस स्वरूप को मिश्री, दूध और पंचामृत का भोग लगाएं। भोग के रूप में माता को फिर मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें।
करें इन मंत्रों का जाप
मां ब्रह्मचारिणी के स्वयं सिद्ध बीज मंत्र – ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
मां ब्रह्मचारिणी का पूजन मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।