(Pi Bureau)
अमेरिका ने एक तरफ इस्राइल की मदद के लिए हाथ बढ़ाए तो दूसरी तरफ आंखें टेढ़ी कर दी। अमेरिकी संसद ने इस्राइल के लिए 13 अरब डॉलर की नई सैन्य सहायता को मंजूरी दी है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका इस्राइल की एक सैन्य बटालियन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है। ये प्रतिबंध बटालियन द्वारा फलस्तीनी लोगों के खिलाफ किए गए मानवाधिकार उल्लंघन के लिए लगाया जा सकता है। हालांकि, इस कदम की इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने निंदा की है।
इस बटालियन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी
फलस्तीन के वेस्ट बैंक में इस्राइली सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में अब अमेरिका वहां आम लोगों को निशाना बनाने के आरोप में नेत्जाह येहुदा बटालियन पर प्रतिबंध लगाने का एलान कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो किसी इस्राइली सैन्य टुकड़ी के खिलाफ बाइडन प्रशासन की पहली कार्रवाई होगी।
आगबबूला हुए पीएम नेतन्याहू
अमेरिका के इस संभावित कदम से इस्राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू खासे नाराज दिख रहे हैं। उन्होंने शनिवार रात कहा, ‘इस्राइली रक्षा बलों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए। हमारे सैनिक आतंकवादी से लड़ रहे हैं। आईडीएफ यूनिट पर प्रतिबंध लगाने का इरादा बेतुकापन है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं जिस इस्राइली सरकार का नेतृत्व कर रहा हूं, वह इन कदमों के खिलाफ सभी तरीकों से कार्रवाई करेगी।’ बता दें कि अमेरिका इससे पहले ईरान पर भी इस्राइल पर हमला करने के लिए कई तरह से प्रतिबंध लगा चुका है। इसके बाद इस्राइल के खिलाफ उनका एक्शन कई तरह के सवाल खड़े करते हैं।
हमारे सैनिकों पर प्रतिबंध लगाना खतरे का संकेत
इस्राइली मंत्री इतामर बेन ग्विर और बेजेल स्मोट्रिच ने भी अमेरिका के फैसले की कड़ी आलोचना की। ग्विर ने कहा, ‘हमारे सैनिकों पर प्रतिबंध लगाना खतरे का संकेत है। यह कदम बेहद गंभीर है और नेत्जाह येहुदा के सदस्यों की रक्षा की जानी चाहिए।’
इस्राइली मंत्री इतामर बेन ग्विर और बेजेल स्मोट्रिच ने रक्षा मंत्री योव गैलेंट से भी अमेरिकी आदेश के आगे न झुकने का आह्वान किया। वित्त मंत्री बेजेलेल स्मोट्रिच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में नेत्जाह येहुदा पर प्रतिबंध लगाने की अमेरिकी योजना के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया।