(Pi Bureau)
मिडिल ईस्ट में अभी जंग की आग पूरी तरह से बूझी भी नहीं थी कि इस बार ईरान के वफादार ने आग में घी डाल दिया है. ईरान-इजरायल में जारी तनातनी के बीच फिर से मिसाइल की बौछारें हुई हैं. इस बार ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने इजराइल पर मिसाइल से हमला कर दिया है. हमास के सहयोगी और ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने दावा किया कि उसने इजरायल के आर्मी हेडक्वार्टर को निशाना बनाया बनाकर दर्जनों कत्युशा रॉकेट से हमला किया है.
दरअसल, 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के अभूतपूर्व हमले के बाद से गाजा में युद्ध जारी है. इजरायली सेना और ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के बीच लगभग रोजाना सीमा पार से गोलीबारी हो रही है. लेकिन इस बार हिजबुल्लाह ने इजरायली सेना के हेडक्वार्टर को निशाना बनाया है. फिलहाल, इजरायल-ईरान तनाव अब तक के उच्चतम स्तर पर है और इसी बीच लेबनानी शिया चरमपंथी समूह हिजबुल्लाह ने सीमा पार इजरायली सैन्य ठिकानों पर अपने हमले तेज कर दिए हैं.
हिजबुल्लाह ने अपने बयान में कहा कि उसने दर्जनों कत्युशा रॉकेटों के साथ इजरायली ईन जीटिम बेस पर 91वें डिवीजन के तीसरे इन्फैंट्री ब्रिगेड के मुख्यालय पर बमबारी की है. हिजबुल्लाह का यह हमला लेबनान के दक्षिणी गांवों और नागरिक घरों पर इजरायली हमलों के जवाब में है. लेबनान की आधिकारिक राष्ट्रीय समाचार एजेंसी (एनएनए) ने सोमवार को तीन गांवों पर इजरायली हमले की सूचना दी थी.
वहीं, इजरायली सेना ने कहा कि लेबनान से उत्तरी इजरायल के ईन जीटिम क्षेत्र में प्रवेश करने वाले लगभग 35 रॉकेटों की पहचान की गई और इस हमले में अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. इजरायली सेना ने आगे कहा कि उसकी सेना ने दागे गए रॉकेट के सोर्स पर हमला किया है. बता दें कि 7 अक्टूबर के बाद से लेबनान में 376 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से सबसे अधिक हिजबुल्लाह के लड़ाके हैं और 70 आम नागरिक हैं. वहीं, इजरायल की तरफ से 10 जवान और 8 नागरिकों की मौत हो चुकी है. हिजबुल्लाह का इजरायल के साथ आखिरी बड़ा युद्ध 2006 में हुआ था.
कौन है हिजबुल्लाह?
हिजबुल्लाह एक ऐसा सैन्य संगठन है, जो ईरान से पोषित है और वह फिलिस्तीन के समर्थन और इजरायल के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. हालांकि, अमेरिका समेत दुनिया के ज्यादातर देश इसे आतंकी संगठन मानते हैं. जब हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला किया था और यह हिजबुल्लाह ही था जो खुल कर हमास के साथ खड़ा हुआ था. हिजबुल्लाह का गठन 1982 में हुआ था, जब इजरायल ने लेबनान पर हमला किया था. इजरायल का मकसद इलाके से फिलिस्तीनी लड़कों का सफाया करना था, लेकिन इजरायल ने इलाके पर ही कब्जा कर लिया. शिया सम्प्रदाय के मौलवियों ने जमा होकर एक समूह बनाया जिसका मकसद इजरायल को बाहर करना और लेबनाने में इस्लामी शासन स्थापित करना था. इसके पीछे ईरान का हाथ बताया जाता है. ईरान हिजबुल्लाह को हथियार, पैसा और प्रशिक्षण मुहैया कराता है.