(Pi Bureau)
कयासबाजी… करामात और कद…। इन तीन शब्दों से कैसरगंज संसदीय क्षेत्र की अपनी खास पहचान है। अलबत्ता इस बार यहां सस्पेंस खत्म नहीं हो रहा है। राजनीतिक चक्रव्यूह में घिरे सियासी अखाड़े में हर पल रोमांच बढ़ता जा रहा है। सोमवार को चौंकाने के चस्के में रहे लोगों को हाथ मलते ही रहना पड़ा, वहीं लड़ाकों के दरबार के सन्नाटे ने भी नया सियासी संदेश देने की कोशिश की है।
मंगलवार को भी जितने मुंह उतनी बातें सुनने को मिलीं। फिलहाल पार्टियों की ओर से मंथन के सिवाय कोई संकेत मिलते नहीं दिखा। कैसरगंज संसदीय क्षेत्र में जो भी हालात हैं, वह भाजपा के दांव से ही बने हैं। भाजपा ने जिस कदर सांसें रोक रखी हैं, उससे बड़े -बड़ों के होश उड़े हुए हैं। पार्टी के अंदरखाने क्या चल रहा है, यह कौतुहल का विषय बना है।
दूसरे दलों के नेताओं की निगाहें जरूर टिकी हैं कि भाजपा की अगली चाल क्या होगी? लेकिन वह भी सटीक खबर से बेखबर हैं। सपा को तो पुराने दांव की उम्मीद है। यही कारण है कि उसने रण में मोर्चेबंदी तक शुरू कर दी है। यह अलग बात है कि दल से जुड़े तीन स्थानीय नेताओं और एक बाहरी संभावित दावेदार ने नामांकन पत्र भी ले लिया है। अलबत्ता नामांकन में सभी के कदम डगमगा रहे हैं।
कैसरगंज से बसपा के एक नेता ने भी नामांकन पत्र लेकर चौंकाने की कोशिश की है, जिसके कई निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं, जबकि भाजपा की ओर से सभी की निगाहें दिल्ली की सूची व हाईकमान से मिलने वाले निर्देश पर टिकी हैं।