(Pi bureau)
आबकारी नीति घोटाला से जुड़े सीबीआई व ईडी मामले में जमानत देने से इन्कार करने के निचली अदालत के निर्णय को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख किया गया और अदालत ने इसे शुक्रवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। 30 अप्रैल को निचली अदालत ने सियोदिया की याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने यह कहते हुए सिसोदिया को राहत देने से इन्कार कर दिया था कि सिसोदिया समेत अन्य सह-अभियुक्तों द्वारा मामले की सुनवाई में देरी करने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है। अदालत ने कहा था कि सिसोदिया समेत अन्य आरोपित कई आवेदन दायर कर रहे हैं या मौखिक दलीलें दे रहे हैं। इनमें से कुछ आवेदन तो तुच्छ प्रकृति के हैं।
विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) कावेरी बावेजा ने कहा था कि मामले की सुनवाई में देरी नहीं करने व सुनवाई की गति कछुआ गति से चलने के सिसोदिया के तर्कों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में सिसोदिया की जमानत खारिज करते हुए कहा था कि अगर मुकदमा लंबा खिंचता है और अगले तीन महीनों में कछुआ गति से आगे बढ़ता है तो वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष नई जमानत याचिका दायर कर सकते हैं।
अदालत ने पत्नी की स्वास्थ्य स्थिति के कारण उन्हें जमानत पर रिहा करने के तर्क को भी ठुकरा दिया। इतना ही नहीं अदालत ने सह-आरोपित बेनाय बाबू के साथ समानता की मांग करने वाली सिसोदिया के तर्क को भी ठुकरा दिया था।
मालूम हो कि सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया था। तब से आप नेता न्यायिक हिरासत में हैं।